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Nagpur News: भांडेवाड़ी डंपिंग यार्ड में दिसंबर से शुरू होगा बायोगैस निर्माण

- कचरे से बनेगी बायोगैस
- फिलहाल डंपिंग यार्ड शिफ्ट नहीं होगा
Nagpur News शहरवासियों को लंबे समय से भांडेवाड़ी डंपिंग यार्ड की बदबू और उससे जुड़ी बीमारियों से राहत की उम्मीद थी, खासकर जब चर्चा थी कि इस डंपिंग यार्ड को शहर के बाहर शिफ्ट किया जाएगा। लेकिन अब ये अटकलें समाप्त होती नजर आ रही हैं, क्योंकि महानगरपालिका ने भांडेवाड़ी डंपिंग यार्ड में ही बायोगैस निर्माण परियोजना शुरू कर दी है, जो दिसंबर 2025 तक पूर्ण होकर कार्यान्वित हो जाएगी। साथ ही मनपा प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि फिलहाल डंपिंग यार्ड को शिफ्ट करने की कोई योजना नहीं है। इसके बजाय वहीं पर एक अत्याधुनिक बायोगैस निर्माण परियोजना शुरू की जा रही है, जिससे न केवल कचरे का निपटान किया जाएगा, बल्कि उससे ऊर्जा भी उत्पन्न होगी।
बायोमाइनिंग से बायोगैस की ओर : अब तक नागपुर में कचरे के निस्तारण के लिए बायोमाइनिंग प्रक्रिया का उपयोग किया जाता था, जिसमें कचरे को चरणबद्ध तरीके से अलग कर उसका पुनर्चक्रण किया जाता है। लेकिन दिसंबर 2025 से शहर का कचरा सीधे बायोगैस उत्पादन के लिए प्रयोग किया जाएगा। इसके लिए भांडेवाड़ी डंपिंग यार्ड में लगभग 30 एकड़ भूमि पर 30 विशेष टनल्स (ट्रीटमेंट यूनिट्स) का निर्माण किया गया है। इन टनल्स में प्रतिदिन हजारों टन जैविक कचरे से बायोगैस बनाई जाएगी, जिसे पेट्रोल पंप कंपनियों और घरेलू उपभोक्ताओं को बेचा जाएगा। यह बायोगैस एक हरित ईंधन के रूप में प्रयोग में लाई जाएगी, जिससे पारंपरिक ईंधनों पर निर्भरता कम होगी और वायु प्रदूषण में भी कमी आएगी।
शेष कचरे का भी उपयोग : बायोगैस निर्माण के बाद जो अवशेष बचेगा, उसका भी वैज्ञानिक तरीके से उपयोग किया जाएगा। प्लास्टिक और अन्य गैर-बायोडिग्रेडेबल वस्तुओं को सीमेंट कंपनियों को ईंधन के रूप में भेजा जाएगा। रिसाइक्लिंग योग्य वस्तुएं री-साइक्लिंग कंपनियों को भेजी जाएंगी। जैविक अवशेषों से खाद बनाई जाएगी, जिसका उपयोग खेती में किया जा सकेगा।
पीपीपी में बन रहा है प्रोजेक्ट :यह संपूर्ण बायोगैस प्रोजेक्ट पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर आधारित है। इस परियोजना से नागपुर महानगरपालिका को प्रतिवर्ष लगभग 15 लाख रुपये की रॉयल्टी प्राप्त होगी, जिससे मनपा की आय में भी वृद्धि होगी।
प्रदूषण में होगी कमी : यह प्रोजेक्ट न केवल कचरा निस्तारण की पारंपरिक प्रक्रिया को बदल देगा, बल्कि इससे शहर में प्रदूषण का स्तर भी घटेगा। नए वर्ष में नागपुर को यह परियोजना एक नई सौगात की तरह मिलेगी। प्रदूषण घटेगा, ऊर्जा का उत्पादन बढ़ेगा, और डंपिंग यार्ड की समस्याओं का भी समाधान निकलेगा। - श्वेता बैनर्जी, मनपा अधीक्षक अभियंता
नागरिकों की चिंता कायम : हालांकि यह प्रोजेक्ट कचरे के बेहतर प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन डंपिंग यार्ड के आसपास रहने वाले नागरिकों की चिंता अभी भी बनी हुई है। वे चाहते हैं कि यार्ड को पूरी तरह से शिफ्ट किया जाए, क्योंकि बायोगैस प्रोजेक्ट के बाद भी कचरा उसी स्थान पर जमा होता रहेगा, जिससे दुर्गंध और बीमारियों की समस्या बनी रह सकती है।
Created On :   2 July 2025 11:14 AM IST