जलशक्ति के आदेश की धज्जियां: न एसटीपी बना, न जुर्माना लगा, एनजीपी ने दी थी सख्त ताकीद

न एसटीपी बना, न जुर्माना लगा, एनजीपी ने दी थी सख्त ताकीद
  • मार्च 2021 की डेड लाइन भी चली गई
  • एनजीपी ने जिप को दी थी सख्त ताकीद

डिजिटल डेस्क, नागपुर. कोलार नदी का जलप्रदूषण बढ़ रहा है। चिचोली, खापरखेड़ा व पोटा चनकापुर की नालियाें का गंदा पानी नदी की प्रदूषित होने का मुख्य कारण है। गंदे पानी पर प्रक्रिया कर उसे नदी में छोड़ने के लिए एसटीपी लगाने की राट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीपी) ने जून 2020 में जिला परिषद को ताकीद दी थी। अन्यथा प्रतिमाह 5 लाख रुपए जुर्माना लगाने की चेतावनी दी थी। एसटीपी लगाने के लिए मार्च 2021 की डेडलाइन दी गई, लेकिन ढाई साल हो गए हैं अभी तक न एसटीपी लगा, न जुर्माना लगाया गया है। प्रदूषण नियंत्रण का हमेशा राग आलापने वाले एनजीपी की खामोशी से कोलार नदी का प्रदूषण दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है।

"जलशक्ति' के आदेश की उड़ीं धज्जियां : नदी का पानी स्वच्छ करने पर केंद्र सरकार का फोकस है। उसे अंजाम देने के लिए केंद्र सरकार ने जलशक्ति मंत्रालय की स्थापना की है। नदी, नाले किनारे की बस्तियों से निकलने वाले गंदे पानी से बढ़ रहा प्रदूषण कम करने के लिए स्थानीय निकायों से उचित कदम उठाने के एनजीपी ने आदेश दिए हैं। कोलार नदी में बिना प्रक्रिया किए गंदा पानी छोड़ने से जलशक्ति मंत्रालय के आदेश की धज्जियां उड़ रही हैं।

निधि के अभाव में लड़खड़ाया प्रकल्प : एनजीपी ने जून 2020 में जिला परिषद को पत्र भेजकर मार्च 2021 तक एसटीपी लगाने की डेडलाइन दी थी। अन्यथा प्रति माह 5 लाख रुपए जुर्माना भरने की तैयारी रखने की चेतावनी दी थी। कोलार नदी को प्रदूषण मुक्त कर भारी-भरकम जुर्माने से बचने के लिए जिला परिषद ने एसटीपी प्रकल्प लगाने के प्रयास किए। पहले जमीन के अभाव में प्रकल्प नहीं बन पाया। जमीन आवंटित होने के बाद निधि उपलब्ध नहीं हो पाई। इस बीच, लो कॉस्ट ट्रीटमेंट प्लांट की संभावना तलाशी गई। उसका स्थानीय नागरिकों ने विरोध किया। उनका कहना था कि, यह काम बार-बार नहीं किया जा सकता। एक ही बार में पूर्व नियोजत ट्रीटमेंट प्लांट लगाने से लंबे समय तक समस्या नहीं होगी। नागरिकों के विरोध करने पर लो कास्ट ट्रीटमेंट प्लांट की योजना खटाई में पड़ गई।

जिला खनिज विकास प्रतिष्ठान से भी निराशा : गत कुछ माह पूर्व नांदेड की तर्ज पर डीसेंट्रलाइज्ड वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का नियोजन किया गया। एक एजेंसी के माध्यम से चिचोली में एसटीपी के लिए जगह का सर्वेक्षण किया गया। एजेंसी ने जगह चिह्नित करने पर आगे की प्रक्रिया आरंभ हुई। जिला खनिज विकास प्रतिष्ठान के पास निधि के लिए प्रस्ताव भेजा गया। वहां से भी निराशा हाथ लगी।

Created On :   19 Nov 2023 6:55 PM IST

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