सत्ता के लिए स्पर्धा ठीक, पर देश की एकता का रखें ध्यान - डॉ. भागवत

सत्ता के लिए स्पर्धा ठीक, पर देश की एकता का रखें ध्यान - डॉ. भागवत
छोटी पहचान मिटने के डर से समाज भेद के भागीदार न बनें

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सामाजिक विवाद व हिंसा की घटनाओं को लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने राजनीतिक दलों को संयम में रहने को कहा है। संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा है कि सत्ता के लिए स्पर्धा होना ठीक है, लेकिन उसकी भी सीमा होनी चाहिए। देश की एकता को सभी ध्यान में रखें। छोटी पहचान मिटने के भय से कोई भी समाज भेद के भागीदार न बनें। सभी को मिल-जुलकर अतीत के सत्य के संबंध में आवश्यक सुधार करना होगा। जाति के विषयों को लेकर सरसंघचालक ने कहा कि पहले भी जातिभेद रहा है। कई मामलों में हम पूर्वजों का यशोगान करते हैं, लेकिन उनका ऋण भी चुकाना होगा। गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक का तृतीय वर्ष प्रशिक्षण वर्ग का समापन हुअा। श्री सिद्धगिरी संस्थान मठ कणेरी कोल्हापुर के प्रमुख अदृश्य काडसिद्धेश्वर स्वामी की प्रमुख उपस्थिति में रेशमबाग मैदान में हुए समापन कार्यक्रम में सरसंघचालक, संघ कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे।

देश हिंसा की घटनाओं से आहत : डॉ. भागवत ने कहा कि इस बार गर्मी के साथ बारिश का मौसम राहत के साथ ही चुभन भरा रहा। देश का मौसम भी वैसा ही लग रहा है। देश विकास तो कर रहा है, लेकिन भाषा विवाद, पंथ संप्रदाय विवाद, मिलने वाली सहूलियतों को लेकर विवाद के अलावा हिंसा की घटनाओं से आहत है। देश में भेद बढ़ाने का कुचक्र चलता रहा है। देश की सीमा पर बुरी नजर रखने वाले शत्रुओं को बल नहीं दिखा रहे हैं, लेकिन आपस में लड़ रहे हैं। कुछ लोगों को लगता है कि भारतीयता के साथ रहने से उनकी पहचान छोटी हो जाएगी। अलग पहचान बनाए रखने का प्रयास किया जाने लगता है, जबकि यह सोचा जाना चाहिए कि सभी भारतीय एक समान हैं।

सभी भारतीयों के पूर्वज एक हैं : हमारी पूजा पद्धति अलग हो सकती है, लेकिन समाज के नाते हम सब एक हैं। सभी भारतीयों के पूर्वज एक हैं। भारत में सभी आत्मसम्मान के साथ रह सकते हैं। यहां सभी को आश्रय मिला है। यहूदी और पारसी ने भी भारत में आश्रय पाया। पूरी दुनिया में इस्लाम का आक्रमण हुआ। स्पेन से मंगोलिया तक छा गया। धीरे-धीरे लोग जागे। उन्होंने आक्रमणकारियों को पराजित किया, लिहाजा इस्लाम सिकुड़ गया। विदेश लौट गए, लेकिन इस्लाम की सुरक्षित पूजा भारत में ही हो रही है।

मठों में भी हो सामाजिक कार्य : श्री सिद्धगिरी संस्थान मठ कणेरी कोल्हापुर के प्रमुख अदृश्य काडसिद्धेश्वर स्वामी ने कहा कि मठों में आने वालों की संख्या कम होने लगी है। मठों में धार्मिक कार्यों के साथ ही सामाजिक व राष्ट्रसेवा के कार्य होने चाहिए। संघ कार्यों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इनके कार्यों की प्रेरणा सभी को लेनी चाहिए। भारतीय संस्कृति ने धन काे संपत्ति नहीं माना। संस्कार को संपत्ति मानते हैं, इसलिए यह देश गरीब नहीं रहा। पुरानी विरासत को स्मरण कर देश सेवा के कार्यों में सभी योगदान दें। समारोह पर आभार महानगर संघचालक राजेश लोया ने माना।

ये थे विशेष अतिथि : अच्युतानंद महाराज राजस्थान, कपिलेश्वर राज परिवार सदस्य बिहार, हम्मार सिंह खरमार संगीतकार शिलांग, गोपाल श्रीनिवासन उद्यमी टीवीएस समूह, निहार केलकर अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी।

दर्शक दीर्घा में प्रमुख उपस्थिति - पूर्व केंद्रीय गृहराज्यमंत्री हंसराज अहिर, पूर्व राज्यमंत्री परिणय फुके, विधायक कृष्णा खोपड़े, पूर्व विधायक मिलिंद माने, पूर्व मनपा स्थायी समिति सभापति वीरेंद्र कुकरेजा, डॉ. विंकी रुघवानी सहित अन्य जनप्रतिनिधि, उद्यमी व सामाजिक कार्यकर्ता दर्शक दीर्घा में थे।

Created On :   2 Jun 2023 11:36 AM IST

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