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Nagpur News: विश्व संस्कृत सम्मेलन में नागपुर की सशक्त प्रस्तुति

- विश्व संस्कृत सम्मेलन में कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय की सहभागिता
- उपराजधानी के शोधकर्ताओं और प्रोफेसरों की नेपाल में सराहना
Nagpur News कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय रामटेक की टीम ने नेपाल की राजधानी काठमांडू में आयोजित 19वें विश्व संस्कृत सम्मेलन में शानदार भागीदारी निभाई। इस अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम का संयुक्त रूप से आयोजन नेपाल संस्कृत विश्वविद्यालय, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली और अंतरराष्ट्रीय संस्कृत अध्ययन संघ द्वारा किया गया। उद्घाटन नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के हाथों हुआ। विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. हरेराम त्रिपाठी और कुलसचिव डॉ. देवानंद शुक्ल के नेतृत्व में शिक्षकों, शोधकर्ताओं और अधिकारियों की टीम ने विभिन्न सत्रों में हिस्सा लिया। प्रतिनिधिमंडल में डॉ. देवानंद शुक्ल, प्रो. कविता होले, प्रो. कलापिनी अगस्ती, प्रो. नंदा पुरी, डॉ. रेणुका बोकारे, शोधार्थी सिमरन ठाकुर, श्रद्धा देवपुजारी, जिनेंद्र और भक्ति पुरंदरे शामिल रहे।
विशेष स्मारिका का विमोचन : प्रो. नंदा पुरी को कवि समवाय के लिए आमंत्रित किया गया था। उन्होंने ‘विप्रलंभविषये कालिदास: विशिष्यते’ विषय पर कविता प्रस्तुत की, जिसे अन्य कवियों ने सराहा। वे संस्कृत साहित्य सत्र की अध्यक्षता भी कर रहे थे। डॉ. रेणुका बोकारे ने लैंडस्केप आर्किटेक्चर जैसे आधुनिक विषय पर शोधपत्र पढ़ा, जिसे सत्र अध्यक्षों और श्रोताओं ने सराहा। इसी दौरान संस्कृत भावितव्यम् पत्रिका की 50वीं वर्षगांठ पर एक विशेष स्मारिका का विमोचन भी हुआ। इसका संपादन नंदकिशोर पत्तरकिने और डॉ. बोकारे ने किया। प्रो. वरखेड़ी ने इस संग्रह को स्मरणीय और संग्रहणीय बताते हुए इसकी विशेषताओं की सराहना की।
विद्वानों को प्रभावित किया : विवि की श्रद्धा देवपुजारी, जिनेंद्र और भक्ति पुरंदरे ने भी अलग-अलग सत्रों में शोधपत्र प्रस्तुत किए। उन्होंने अपने विचारों से सम्मेलन में मौजूद विद्वानों को प्रभावित किया। कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय ने इस वैश्विक सम्मेलन में अपनी विद्वत्ता, शोध क्षमता और परंपरा को आधुनिक संदर्भों के साथ मजबूती से पेश किया।
हर एक शोधकर्ता को भाग लेना चाहिए : कुलपति प्रो. त्रिपाठी ने अक्षर पुरुषोत्तम दर्शन विषय पर संगोष्ठी में हिस्सा लिया और दर्शनशास्त्र शोध सत्र की अध्यक्षता की। उन्होंने सम्मेलन की उपयोगिता को रेखांकित करते हुए कहा कि यह मंच संस्कृत जगत के समसामयिक विचारों और शोध गतिविधियों को समझने का अनोखा अवसर देता है। इसमें भाग लेना हर शोधकर्ता और प्रोफेसर के लिए जरूरी है। सिमरन ठाकुर, जो विश्वविद्यालय के व्याकरण विभाग में सहायक प्राध्यापिका हैं, ने ‘वृद्धिरादैच्’ सूत्र पर अद्भुत वैज्ञानिक प्रस्तुति दी। भारत की ओर से 12 युवतियों ने हिस्सा लिया था। सिमरन की प्रस्तुति को केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी सहित सभी विद्वानों ने सबसे बेहतर बताया।
Created On :   10 July 2025 12:42 PM IST