रणनीति: संघ का चुनाव रणनीति का खाका तैयार, कार्यकारी मंडल की बैठक में होगा अंतिम निर्णय

संघ का चुनाव रणनीति का खाका तैयार, कार्यकारी मंडल की बैठक में होगा अंतिम निर्णय
प्रचार कार्यों में संयम बनाए रखने पर जोर, दलित व अल्पसंख्यक वर्ग के घरों तक पहुंचने की तैयारी

रघुनाथसिंह लोधी, नागपुर। लोकसभा चुनाव को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने व्यापक रणनीति तैयार की है। इस रणनीति पर 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी अमल होगा। चुनाव कार्य के याेगदान देनेवाले कार्यकर्ताओं से कहा जाएगा कि वे हिंदुवादी विषयों पर अधिक आक्रामक न रहे। किसी तरह का विवादित वक्तव्य न दें। चुनाव के समय संघ व भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय टूटने नहीं देने को लेकर भी निर्देश दिए जाएंगे। दलित व अल्पसंख्यक वर्ग के घरों तक पहुंचने की तैयारी है। 5 नवंबर से गुजरात के भुज में होनेवाली संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में रणनीति पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। संघ सूत्र के अनुसार 22, 23 अक्टूबर को हेडगेवार भवन नागपुर में संघ के अखिल भारतीय प्रचारकों की विशेष बैठक हुई। 24 अक्टूबर को विजयादशमी उत्सव मनाने के बाद उस बैठक के मुख्य मुद्दों विषयों पर चर्चा की गई। संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय हाेसबले ने बैठक में संघ के विविध संगठनों के कार्यों की समीक्षा भी की।

सहसरकार्यवाहों का बढ़ा दायित्व : चुनाव के लिए संघ व भाजपा के बीच समन्वय के लिए सहसरकार्यवाहों का दायित्व बढ़ा दिया गया है। पांचों सहसरकार्यवाह डॉ.मनमोहन वैद्य, डॉ.कृष्ण गोपाल, सी.आर मुकुंद, अरुणकुमार व रामदत्त को अलग अलग क्षेत्रों का दायित्व दिया जाएगा। राष्ट्रसेविका समिति, विश्व हिंदू परिषद, वनवासी कल्याण आश्रम, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय किसान संघ, विद्या भारती, भारतीय मजदूर संघ, संस्कार भारती, संस्कृति भारती व सेवा भारती के प्रमुख पदाधिकारियों को भी संघ की चुनावी रणनीति में नेतृत्व की भागीदारी मिलेगी। बीते 14 सितंबर से 3 दिन तक पुणे में संघ व भाजपा की समन्वय बैठक हुई थी। उसमें सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत, भाजपा के अध्यक्ष जगतप्रसाद नड्डा शामिल हुए थे। उस दौरान राजनीति विषय पर यह बात प्रमुखता सेे सामने आयी थी कि चुनाव के समय बूथ स्तर पर संघ व भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय टूटने लगता है। तय किया जाता है कि चुनाव रणनीति की मुख्य कमान संघ कार्यकर्ता के हाथ में रहेगी। लेकिन चुनाव प्रचार आरंभ होते ही भाजपा के कार्यकर्ता अपने तरीके से कार्य करने लगते हैं। दावा किया जाता है कि भाजपा में वरिष्ठ स्तर से जो निर्देश मिला है उसके अनुरुप कार्य किया जा रहा है। कर्नाटक चुनाव में बजरंग दल की अलग भूमिका को संघ व भाजपा के बीच टूटते समन्वय का उदाहरण माना गया। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अल्पसंख्यक विशेषकर मुस्लिम समुदाय के मतदाताओं के करीब पहुंचने की रणनीति बनायी गई। नागपुर में हुई बैठक में पुणे के िनर्णयों पर अमल की समीक्षा की गई। 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में श्रीराम मंदिर प्रतिष्ठापना समारोह है। उस समारोह को लेकर नवंबर से ही देश भर में राम पूजन के अलावा विविध कार्यक्रमों के आयोजन किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों में गैर हिंदुओं को भी शामिल कराया जाएगा।


Created On :   26 Oct 2023 12:57 PM GMT

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