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सावधान: वैज्ञानिकों ने कहा - बचना है तो बूंद-बूंद पानी बचाना ही होगा
- खनिज उद्योग में संयंत्रों से जल प्रबंधन
- जल संसाधन व व्यवस्थापन को लेकर चिंता जताई
- जोर देकर कहा-वैश्विक जलवायु संकट का पानी से गहरा नाता
डिजिटल डेस्क, नागपुर. जलवायु परिवर्तन को अनुकूल बनाने में पानी की भूमिका महत्वपूर्ण है। वैश्विक जलवायु संकट का पानी से गहरा संबंध है। पेरिस समझौता के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग के लिए अधिकतम सीमा के रूप में 2 डिग्री सेल्सियस को परिभाषित किया गया है। हम 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक ऊपर जाने का जोखिम नहीं उठा सकते। यह विनाशकारी होगा। ऐसा सीएसआईआर-नीरी के पूर्व निदेशक और अन्ना यूनिर्वसिटी चेन्नई के प्रोफेसर डॉ. सुकुमार डिवोट्टा ने कहा। सीएसआईआर-राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर- नीरी) में जल संसाधन व प्रबंधन पर कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. सुकुमार ने अलग-अलग रिपोर्ट के आधार पर बताया कि सदी के अंत तक ग्लोबल वार्मिंग 4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। ऐसे में मनुष्य का जिंदा रह पाना मुश्किल होगा।
डॉ. सुकुमार ने कहा कि भारत भूजल पुनर्भरण के लिए वर्षा जल पर निर्भर है, जबकि वर्षा की असमान स्थिति से पुनर्भरण प्रभावित हो रहा है। उन्होंने पारंपारिक जल संसाधनाें से आगे की सोच पर विचार करने की सलाह दी है। उन्होंने वैज्ञानिकों को जीरो लिक्विड डिस्चार्ज के लिए औद्योगिक अपशिष्ट जल पुनर्चक्रण और और सीवेज के पानी के लिए गैर-पारंपारिक स्रोत तैयार कर उसका पुर्नप्रयोग का सुझाव दिया।
पूर्व निदेशक डॉ. सतीश वटे ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नई वहन क्षमता (कैरिंग कैपेसिटी) पद्धतियां विकसित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जल प्रबंधन के लिए सभी तरह के पानी को एक जैसा नहीं मान सकते। अलग-अलग भौगोलिक स्थितियां, बदलते क्षेत्र, आबादी आदि को देखते हुए जल प्रबंधन योजनाओं की आवश्यकता है, लेकिन क्षेत्रीय सीमा और वहां की जल की स्थिति का कोई डेटा उपलब्ध नहीं है। उन्होंने शहरी क्षेत्र में एक समग्र जल प्रबंधन प्रणाली की आवश्यकता पर जोर दिया।
विश्व भर में डायरिया से 4 लाख मौत : विश्व स्वास्थ्य संगठन की भारत की उप प्रमुख डॉ. पेडेन ने कहा कि विश्व स्तर पर चार में से एक व्यक्ति के पास घर में सुरक्षित पीने का पानी नहीं है और पांच में से दो व्यक्ति के पास स्वच्छता का प्रबंधन नहीं है। उन्होंने जल स्वच्छता प्रबंधन नहीं होने से डायरिया जैसी बीमारी का खतरा बताया। इसलिए जल प्रबंधन व स्वच्छता को लेकर जागरुकता व मिलकर काम करने की आवश्यकता होने पर जोर दिया। डॉ. पेडेन ने बताया कि डायरिया से हर साल विश्व भर में 4 लाख मौत का अनुमान है। पानी की गुणवत्ता में सुधार के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा काम किया जा रहा है।
खनिज उद्योग में संयंत्रों से जल प्रबंधन : आईआरईएल इंडिया के प्रबंध निदेशक दीपेंद्र सिंह ने खनिज उद्योग में जल प्रबंधन के बारे में जानकारी साझा की। उन्होंने देश के विविध हिस्सों में अर्थ एक्स ट्रैक्शन सयंत्रों के बारे में जानकारी दी। प्रास्ताविक मुख्य वैज्ञानिक डॉ. पवन कुमार लाभशेटवार ने रखा। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. पारस पुजारी ने कार्यशाला के संबंध में जानकारी दी। चार सत्रों में हुई कार्यशाला में पैनल चर्चा, पोस्टर सत्र आदि शामिल थे। सीएसआईआर-नीरी के जल प्रौद्योगिकी और प्रबंधन प्रभाग द्वारा शुरू की गई योजनाएं व उपलब्धियों से संबंधित कॉफी टेबल बुक का विमोचन हुआ। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शालिनी ध्यानी ने संचालन व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जी. के. खडसे ने आभार प्रदर्शन किया।
Created On :   5 Dec 2023 5:01 PM IST