नागपुर: वन विभाग अंतर्गत बढ़ती गर्मी में जंगलों को आग से बचाने की कवायद हुई शुरू

वन विभाग अंतर्गत बढ़ती गर्मी में जंगलों को आग से बचाने की कवायद हुई शुरू
  • प्रादेशिक इलाकों में बनाई गई 2,579 किमी की फायर लाइन
  • सबसे छोटी 3 मीटर, सबसे बड़ी 12 मीटर की
  • आंकी जाती है फायर लाइन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बढ़ती गर्मी व सूखते जंगल के कारण कभी भी जंगलों में आग लग सकती है। ऐसे में आग से जंगलों को बचाने की कवायद वन विभाग ने शुरू कर दी है। पहले पेंच और अब नागपुर वन विभाग के प्रादेशिक इलाके में 2579 किमी की फायर लाइन तैयार की है। इसमें सबसे छोटी 3 मीटर व सबसे बड़ी 12 मीटर की लाइन तैयार की गई है। वन विभाग अंतर्गत दक्षिण उमरेड, उत्तर उमरेड, नरखेड़, कोंढाली, काटोल, हिंगना, देवलापार, पारशिवनी, रामटेक, पवनी, कलमेश्वर, सेमिनरी हिल्स, बुटीबोरी, खापा आदि इलाके आते हैं।

बाकी दिनों में इन जंगलों पर वन विभाग को ज्यादा नजर नहीं रखनी पड़ती है। बारिश व ठंड में यहां लकड़ी चोर, अवैध शिकार करने वालों पर नजर रखनी पड़ती है, लेकिन गर्मी में कवायद बढ़ जाती है, जिसका मुख्य कारण आग लगना है। जंगल में बड़े पेड़ों को छोड़ें, तो घास से लेकर पौधे सूख जाते हैं, जिसके कारण प्राकृतिक तरीके से यहां आए दिन आग लगने की घटनाएं होती हैं। इसके अलावा इन जंगलों के आस-पास गांव बसें हैं। नियमानुसार गांववासियों का जंगली क्षेत्र में आना मना है।

बावजूद कुछ लोग लकड़ी व तेंदूपत्ता आदि के लिए जंगल क्षेत्र में प्रवेश कर आग लगाते हैं। इससे एक ओर वन्यजीवों को परेशानी होती है। दूसरी ओर यह आग विकराल रुप धारण करते हुए जंगल नष्ट करती है। बड़ा इलाका आग की चपेट में आ जाता है। ऐसे में जंगल में लगी आग को खुद-ब-खुद बुझाने के लिए फायर लाइन बनाई जाती है। इस साल गर्मी का आगाज होने के बाद वन विभाग ने 2579 की फायर लाइन तैयार की है। जिसमें 3, 6, 9 व 12 मीटर की फायर लाइन को बनाया गया है।

इस तरह आंकी जाती है फायर लाइन

गर्मी में जंगल इलाके में हर जगह सूखापन होता है। पेड़ों के पत्ते जमीन पर मानों चादर की तरह पड़े रहते हैं, जो लगातार धूप के संपर्क में आने से पूरी तरह सूख जाते हैं। किसी भी कारण से जंगल में आग लगने पर यह पत्ते एक के बाद एक जलते रहते हैं, जिससे इनकी चपेट में कई हेक्टेयर जंगल आ जाता है। ऐसे में वन विभाग फायर लाइन का निर्माण करती है, जो इन पत्तों की चादर को तोड़ती है। लगभर 3 से 12 मीटर तक इन पत्तों व सूखी घास को जलाया जाता है, ताकि भविष्य में दोनों तरफ से आने वाली आग इसके संपर्क में आते ही बुझ जाती है।

Created On :   5 April 2024 9:36 AM GMT

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