New Delhi News: कुशवाहा की मांग - जनसंख्या के आधार पर हो लोकसभा सीटों का निर्धारण, दबाव में न आए केन्द्र

- हिंदी भाषी राज्यों में 31 लाख की आबादी पर है एक सांसद
- दक्षिण भारत के नेताओं के दबाव में न आए केन्द्र सरकार
New Delhi News. पूर्व केन्द्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने केन्द्र सरकार से कहा है कि वह बिना किसी के दबाव में आए 2026 में देश में लोकसभा सीटों का परिसीमन कराए। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के नेताओं की आपत्तियों के चलते इस महत्वपूर्ण कार्य को टालना सही नहीं है। परिसीमन टलने से बिहार सहित हिंदी भाषी राज्यों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। कुशवाहा ने यहां प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि देश के संविधान में की गई व्यवस्था के अनुरूप वर्ष 1951, 1961 एवं 1971 में हुई दस वर्षीय जनगणना के आधार पर परिसीमन का कार्य सम्पन्न हुआ| प्रत्येक बार बढ़ी हुई आबादी के अनुसार क्षेत्रों की संख्या का निर्धारण एवं उनका विकेंद्रीकरण हुआ| लेकिन 1971 के बाद किन्हीं कारणों से परिसीमन के काम पर रोक लगा दी गई। यह अवधि अब 2026 में समाप्त होने वाली है। लेकिन दक्षिण भारत के नेता गलत तथ्यों के आधार पर परिसीमन को फिर रोकने के लिए सरकार पर दबाव बनाने में जुट गए हैं। बता दें कि रालोमो भाजपा की सहयोगी पार्टी है।
हिंदी भाषी राज्यों में 31 लाख की आबादी पर है एक सांसद
रालोमो अध्यक्ष ने बताया कि इस समय दक्षिण के राज्यों से औसतन 21 लाख की आबादी पर एक लोकसभा सांसद बनता है, जबकि हिंदी भाषी राज्यों में यह आंकड़ा 31 लाख प्रति सांसद है। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के नेताओं का यह तर्क कि परिसीमन से उत्तर भारत को जनसंख्या वृद्धि का पुरस्कार मिलेगा, पूर्णत: गलत और भ्रामक है। उन्होंने आंकड़ें देकर बताया कि 1971 तक दक्षिण भारत की जनसंख्या उत्तर भारत की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ी थी और तब उन्होंने इसका सियासी फायदा उठाया। कुशवाहा ने बताया कि 1881 से 1951 अर्थात् आजादी के समय तक दक्षिण भारत ने अपनी जनसंख्या में 100 प्रतिशत से अधिक उच्च गति से वृद्धि की। देश की आबादी में 1881 में इनकी भागीदारी 22 प्रतिशत से कम थी, जो 1951 में 26 प्रतिशत से अधिक हो गई| 1971 में भी 25 प्रतिशत थी| उक्त 150 वर्षों में हिन्दी क्षेत्र में जनसंख्या वृद्धि दर अन्य क्षेत्रों की तुलना में कम रही| इस क्षेत्र का राष्ट्रीय जनसंख्या में योगदान 50% से घटकर 45% हो गया| फिर भी परिसीमन हुआ, जिसका फायदा दक्षिण भारत के राज्यों को हुआ।
Created On :   6 May 2025 7:00 PM IST