सुप्रीम कोर्ट: कैदियों को मताधिकार देने संबंधी पीआईएल पर केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

कैदियों को मताधिकार देने संबंधी पीआईएल पर केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर मांगा जवाब
  • सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर मांगा जवाब
  • कैदियों को मताधिकार देने संबंधी पीआईएल

New Delhi News. सुप्रीम कोर्ट ने कैदियों को वोट देने के अधिकार की मांग संबंधी एक जनहित याचिका (पीआईएल) का संज्ञान लेते हुए शुक्रवार को केंद्र सरकार और केंद्रीय चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यह याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने कहा है कि चूंकि मतदान एक मौलिक अधिकार है। इस वजह से कैदियों को इससे वंचित नहीं किया जाना चाहिए।

शर्मा ने अपनी याचिका में कहा है कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां प्रत्येक नागरिक को सरकार चुनने का अधिकार है। हालांकि, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 62(5) के तहत कैदियों को वोट देने से वंचित रखा जाता है। आरोप सिद्ध हों या न हों, कैदी वोट नहीं दे सकते। यह कैदियों पर एक तरह का पूर्ण प्रतिबंध है। डॉ. शर्मा का तर्क है कि यह प्रतिबंध संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन करता है।

डॉ शर्मा ने याचिका में कहा है कि देश की 1330 जेलों में लगभग 4.50 लाख कैदी बंद हैं। इनमें से 75 प्रतिशत विचाराधीन कैदी हैं। इन कैदियों को अपने मामलों में देरी के कारण जेल में सड़ना पड़ता है। हालांकि उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है, बावजूद उन्हें मतदान से वंचित रखा गया है। भारतीय दंड संहिता या नई न्यायिक संहिता में कैदियों को मतदान से वंचित करने का कोई प्रावधान नहीं है। डॉ. शर्मा ने याचिका के माध्यम से कहा है कि चुनाव आयोग ने 2016 में अपनी एक रिपोर्ट में यह राय व्यक्त की थी कि विचाराधीन कैदियों को मतदान का अधिकार दिया जाना चाहिए।

Created On :   10 Oct 2025 8:07 PM IST

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