New Delhi News: राष्ट्रपति ने कहा - संविधान सभा में दिए गए सटीक तर्क आज भी प्रासंगिक, सेंट्रल हॉल में हुआ कार्यक्रम

- संविधान दिवस के अवसर पर सेंट्रल हॉल में हुआ कार्यक्रम
- संविधान दिवस प्रत्येक नागरिक के लिए गर्व का उत्सव : उपराष्ट्रपति
- भारत दुनिया के सबसे जीवंत और लचीले लोकतंत्रों में से एक : बिरला
New Delhi News. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि संसदीय प्रणाली को अपनाने के पक्ष में संविधान सभा में दिए गए सटीक तर्क आज भी प्रासंगिक हैं। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में जन आकांक्षाओं को अभिव्यक्त करने वाली भारतीय संसद आज विश्व भर के कई लोकतंत्रों के लिए एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान की आत्मा को व्यक्त करने वाले आदर्श हैं: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय; स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व। राष्ट्रपति मुर्मू ने यह बात बुधवार को 11वें संविधान दिवस के अवसर पर संविधान सदन के सेंट्रल हॉल में संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि हमारी संसदीय प्रणाली की सफलता के एक ठोस प्रमाण के रूप में आज भारत तेज़ी से विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। भारत ने आर्थिक न्याय के पैमाने पर विश्व की सबसे बड़ी सफलताओं में से एक हासिल की है, जिससे लगभग 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ गए हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा संविधान हमारे राष्ट्रीय गौरव का दस्तावेज़ है। यह हमारी राष्ट्रीय पहचान का ग्रंथ है। यह औपनिवेशिक मानसिकता को त्यागकर राष्ट्रवादी सोच के साथ देश को आगे बढ़ाने का मार्गदर्शक ग्रंथ है। इसी भावना के साथ सामाजिक और तकनीकी विकास को ध्यान में रखते हुए आपराधिक न्याय प्रणाली से संबंधित महत्वपूर्ण कानून लागू किए गए हैं।
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संविधान दिवस प्रत्येक नागरिक के लिए गर्व का उत्सव : उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि वर्ष 2015 से 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जा रहा है, जो आज इस देश के प्रत्येक नागरिक के लिए गर्व का उत्सव बन चुका है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि संविधान भारत के श्रेष्ठतम चुनिन्दा नेताओं द्वारा प्रारूपित, विचार-विमर्शित और अनुमोदित किया गया और इसमें स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले लाखों लोगों की सामूहिक चेतना, बलिदान और आकांक्षाओं को समाहित करता है। उन्होंने कहा कि प्रारूप समिति और संविधान सभा के सदस्यों के योगदान ने करोड़ों भारतीयों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूर्ण किया तथा भारत को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में स्थापित करने की नींव रखी। उपराष्ट्रपति ने कहा कि बौद्धिक क्षमता, जीवनानुभव, बलिदान और आकांक्षाओं से जन्मा संविधान यह सुनिश्चित करता है कि भारत सदैव एकजुट रहे।
भारत दुनिया के सबसे जीवंत और लचीले लोकतंत्रों में से एक : बिरला
इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि भारत के संविधान ने देश की संस्कृति, भाषा, परंपराओं और रीति-रिवाजों की गहन विविधता को साझा लोकतांत्रिक मूल्यों में निहित एक मजबूत राष्ट्रीय पहचान में परिवर्तित किया है। उन्होंने कहा कि संविधान राष्ट्र के हृदय और आत्मा के रूप में प्रतिस्थापित है, जो इसके सभ्यतागत ज्ञान, लोकतांत्रिक मूल्यों और सामूहिक आकांक्षाओं को अभिव्यक्त करता है। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान ने देश की संस्कृति, भाषा, परंपराओं और रीति-रिवाजों की गहन विविधता को साझा लोकतांत्रिक मूल्यों में निहित एक मजबूत राष्ट्रीय पहचान में परिवर्तित किया है। संविधान के मार्गदर्शन में भारत दुनिया के सबसे जीवंत और लचीले लोकतंत्रों में से एक के रूप में उभरा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कई केन्द्रीय मंत्री, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश तथा संसद सदस्य भी मौजूद रहे।
Created On :   26 Nov 2025 8:40 PM IST













