नंदुरबार में 118 बच्चे गंवा चुके हैं जान, हाईकोर्ट ने जताई चिंता, कहा-ध्यान दे सरकार 

118 children have lost their lives in Nandurbar, High Court expressed concern, said- government should pay attention
नंदुरबार में 118 बच्चे गंवा चुके हैं जान, हाईकोर्ट ने जताई चिंता, कहा-ध्यान दे सरकार 
कुपोषण और इलाज का अभाव नंदुरबार में 118 बच्चे गंवा चुके हैं जान, हाईकोर्ट ने जताई चिंता, कहा-ध्यान दे सरकार 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य के नंदुरबार जिले में कुपोषण व अन्य बीमारियों से इलाज के अभाव में 118 बच्चों की मौत होने की बात जानने के बाद राज्य सरकार को वहां की स्थिति को देखने का निर्देश दिया है। जबकि अमरावती-मेलघाट में रेडियोलाजिस्ट न होने पर हाईकोर्ट ने सरकार को तत्काल इस समस्या के समाधान का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट में मेलघाट में कुपोषण व मेडिकल सुविधाओ तथा डाक्टरों की अनुपलब्धता के चलते बच्चों की होनेवाली मौत को लेकर डाक्टर राजेंद्र बर्मा सहित अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। इससे पहले खंडपीठ को नंदुरबार में 118 बच्चों की मौत की जानकारी दी गई। जिसमें नवजात शिशुओं की मौत भी शामिल होने की बात कही गई। सामाजिक कार्यकर्ता बंडू साने से मिली इस जानकारी के बाद मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने राज्य सरकार को नंदुरबार की स्थिति को देखने का निर्देश दिया और अगली सुनवाई के दौरान नंदुरबार व राज्य के आदिवासी इलाकों में रहनेवाले लोगों की परेशानी को दूर करने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी देने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद पाया कि आदिवासी इलाकों में निमोनिया, तेज बुखार, व जन्म के समय कम वजन होने से बच्चों की मौत होती है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि यह दर्शाता है कि आदिवासी इलाकों में बच्चों को उचित मेडिकल सुविधा नहीं मिल पाती है। खंडपीठ ने कहा कि आदिवासी इलाके में मेडिकल सुविधा देने को लेकर जो कदम उठाए गए हैं। वह कोर्ट के निर्देश के बाद उठाए गए है। जबकि हमारी सरकार से अपेक्षा है कि वह अदालत के आदेश बिना आदिवासी इलाकों में बच्चों के लिए मेडिकल सुविधा बढाने की दिशा में कदम उठाए। क्योंकि सार्वजनिक स्वास्थ्य व आदिवासी विकास जैसे विषय सरकार के नियंत्रण व निगरानी में आते है। 

काम के चलते मेलघाट नहीं जा सके आईपीएस अधिकारी दोरजे, हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी 

हाईकोर्ट ने मामले की पिछली सुनवाई के दौरान आईपीएस अधिकारी छेरिंग दोरजे को मेलघाट का दौरा कर वहां पर बच्चों की होनेवाली मौत के कारणों को लेकर रिपोर्ट देने को कहा था किंतु दोरजे ने पत्र के जरिए कोर्ट को बताया कि उनके पास कार्य का अतिरिक्त प्रभार होने की अड़चन के चलते वे मेलघाट नहीं जा पाए हैं। कोर्ट ने कहा कि हमने संबधित विभाग के मंत्री से अपेक्षा व्यक्त की थी कि दोरजे को कुछ दिनों के लिए काम से मुक्त किया जाए ताकि वे वहां का दौरा कर सके। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। इस तरह से खंडपीठ ने कोर्ट के आदेश का  पालन न होने के लिए राज्य सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर की। खंडपीठ ने अब श्री दोरजे को अगली सुनवाई के दौरान मेलघाट को लेकर अपनी रिपोर्ट देने को कहा है। खंडपीठ ने अब इस मामले की सुनवाई 29 नवंबर 2021 को रखी है और अगली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को आदिवासी इलाकों की स्थिति सुधारने को लेकर उठाए गए कदमों को लेकर एक्सन टेकन रिपोर्ट देने का निर्देश दिया। श्री दोरजे आईपीएस अधिकारी के अलावा एक डाक्टर भी है। कोरोना काल के दौरान उन्होंने जेल में बेहतर काम किया था। इसे देखते हुए खंडपीठ ने दोरजे को कोर्ट अधिकारी नियुक्त करते हुए मेलघाट को लेकर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
 

Created On :   26 Oct 2021 8:59 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story