150 करोड़ की वाटर सप्लाई, फिर भी गंदा पानी पीने को मजबूर हैं शहरवासी

District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!
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150 करोड़ की वाटर सप्लाई, फिर भी गंदा पानी पीने को मजबूर हैं शहरवासी

डिजिटल डेस्क सतना। जिला मुख्यालय में 150 करोड़ की वाटर सप्लाई के बाद भी शहर पानी  के नाम पर जहर पीने को मजबूर है। सोमवार को विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा की इस आशय की शिकायत पर रीवा रोड स्थित ट्रीटमेंट प्लांट पहुंचे नगर निगम के कमिश्नर अमनवीर सिंह ने जल के सेंपल प्रिजर्व कराते हुए परीक्षण के लिए प्रदूषण नियंत्रण केंद्र भेजे हैं। निगमायुक्त ने बताया कि टेस्ट रिपोर्ट में अगर जलापूर्ति से जुड़े निगम के अमला का दोषी पाया गया तो कड़ी कार्यवाही की जाएगी। इसी बीच विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा ने बताया कि दूषित पेयजल आपूर्ति की शिकायत मिलने पर उन्होंने स्वयं नए और पुराने फिल्टर प्लांट का निरीक्षण किया। विधायक ने कहा कि हालात दुर्भाग्यपूर्ण हैं,अगर यही हाल रहा तो भीषण गर्मी में समूचा शहर गंभीर किस्म की जल जनित बीमारियों की चपेट में आ जाएगा।
लॉकडाउन के बीच पहली बार खुली लैब :-----
उल्लेखनीय है, 110 करोड़ की जलावर्धन और 40 करोड़ की अमृत जल योजना वाली यहां की स्मार्ट सिटी में जल परीक्षण के लिए स्मार्ट लैब नहीं हैं। लॉकडाउन के बीच सोमवार को कामचलाऊ लैब भी पहली बार तब खुली जब स्वयं निगम के कमिश्नर औचक निरीक्षण पर पहुंचे।  नियमों के तहत जलापूर्ति से पहले  अनिवार्य रुप से प्रतिदिन ट्रीटमेंट प्लांट की लैब में जल नमूनों के कम से कम 4 परीक्षण होने चाहिए। मगर, ऐसा नहीं होने के कारण शहर का दूषित पानी की आपूर्ति की जा रही थी।  
हर दिन सवा करोड़ लीटर पेयजल की आपूर्ति :--
शहर में हर दिन तकरीबन सवा करोड़ लीटर ( 34 एमएलडी ) पानी की आपूर्ति की जाती है। यहां दो फिल्टर प्लांट हैं। 16 एमएलडी क्षमता के पुराने का जिम्मा नगर निगम के पास है,जबकि 40 एमएलडी के नया प्लांट का मेंटीनेंस फिलहाल 5 साल के एग्रीमेंट के तहत लक्ष्मी इंजीनियरिंग इंदौर के हवाले है।
एक्सपायरी डेट की एलम का उपयोग :------
आरोप है कि शहर की आपूर्ति में प्रयुक्त होने वाले जल का शुद्धीकरण यहां एक्सपायरी डेट की एलम से किया जा रहा है। जलशुद्धीकरण में प्रयुक्त होने वाला एलम (फिटकरी), ब्लीचिंग और चूना यहां थोक के भाव साल में एक बार खरीदा जाता है। इसी में से अहम भूमिका निभाने वाला एलम अब उपयोग के योग्य नहीं है। जानकारों ने बताया कि टमस नदी के तट पर स्थित एनीकट से रीवा रोड स्थित ट्रीटमेंट प्लांट तक आने वाले जल को शुद्ध करने के लिए तीन अलग-अलग प्रक्रिया से गुजारा जाता है। पहले चरण में नदी जल में एलम (फिटकरी) डाली जाती है। एलम पानी में मौजूद गंदगी को फाड़ कर अलग कर देता है। दूसरे चरण में इसी पानी में चूना डाला जाता है ताकि कचरा नीचे बैठ जाए। इसी प्रकार तीसरे चरण में जल को ब्लीच किया जाता है, और फिर जल को आपूर्ति के लिए ओवर हेड टैंक में भेजा जाता है। मगर, यहां एक्सपायरी डेट की एलम का उपयोग होने से जल शुद्ध नहीं हो पा रहा है।
4 साल से नहीं बदले गए सोख्ते :------
शहर की जल आपूर्ति में अंधेरगर्दी का एक और बड़ा सच ये भी है कि ट्रीटमेंट प्लांट में हर साल बदले जाने वाले सोख्ते यहां विगत 4 वर्षों से नहीं बदले गए हैं।
जानकारों ने बताया कि जल शुद्धीकरण टैंकों के नीचे गिट्टी और बालू की मिश्रित सतह बनाई जाती है ताकि चूने के साथ पानी का कचरा नीचे जा कर बैठ जाए और जल को अंतिम चरण में ब्लीच किया जा सके, मगर सोख्ते नहीं बदले जाने के कारण जल शुद्धिकरण का औचित्य पूरा नहीं होने से दूषित पेजजल की ही आपूर्ति चल रही है। ये सोख्ते इससे पहले 5 ट्रक गिट्टी और इतनी ही बालू से बनाए जाते थे।
 गंदे पानी का टैंक बन चुका है एनीकट :--------
 माधवगढ़ में टमस नदी के तट पर स्थित नगर निगम का एनीकट गंदे पानी का टैंक बन चुका है। शहर के बड़े नाले सतना नदी से जुड़े हैं और सतना नदी टमस में गिरती है। शहर के आमनिस्तारी जल को उपचारित कर उसे सतना नदी में छोडऩे का प्रबंध नहीं है। उधर, कम जलस्तर के कारण एनीकट इनदिनों बंधा हुआ है। गंदे पानी के स्तर का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि समूचा एनीकट इन दिनों जल कुंभी से पटा हुआ है। पानी में जलकुंभी की मौजूदगी बताती है कि जल में प्रदूषण की स्थिति किस घातक स्तर तक है। बदबूदार जल की यह भी एक  वजह है।
एक उपाय ऐसा भी :-----
 इन्हीं जानकारों का कहना है कि ऐसी स्थिति में अगर एनीकट में 4-6 सब मर्शिबल पंप लगाकर पानी को तकरीबन 12फिट उंचाई तक उछाला जाए तो हवा के संपर्क में आने से उसकी बदबू नष्ट हो जाती है। ये प्रयोग यहां नया नहीं है,मगर निगम की जल आपूर्ति से जुड़े जिम्मेदारों के पास ऐसी जहमत उठाने की न तो फिक्र है और न ही समझ है। एनीकट में हालत ये है कि गंदे पानी के जमाव के बीच पुराने प्लांट का सेक्सन पाइप गहराई में भरे कचरे से धंसा है। कुल मिलाकर एनीकट से ट्रीटमेंट प्लांट तक अगर कुछ है तो वह है दूषित जल। यही जल घरों तक पहुंच कर पानी के नाम पर जहर की तरह बंट रहा है।  
 

Created On :   21 April 2020 5:01 PM IST

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