1.70 करोड़ खर्च, 52  हजार की नसबंदी फिर भी स्ट्रीट डॉग्स का खौफ बरकरार

1.70 करोड़ खर्च, 52  हजार की नसबंदी फिर भी स्ट्रीट डॉग्स का खौफ बरकरार
1.70 करोड़ खर्च, 52  हजार की नसबंदी फिर भी स्ट्रीट डॉग्स का खौफ बरकरार

2018 की गणना में दर्ज हुए थे 24 हजार श्वान, इस बार गिनती ही नहीं
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
1.70 करोड..। यह वह रकम है जो आवारा कुत्तों की संख्या को काबू करने के लिए नगर निगम ने 5 वर्ष के भीतर खर्च कर डाली। एक और दावा यह है कि बीते 10 वर्षों में 52 हजार कुत्तों की नसबंदी कराई गई। लेकिन रात को आवारा कुत्तों का आंतक देखकर तनिक भी नहीं लगता कि दोनों तक के दावों में थोडा बहुत भी दम है। 
नगर निगम ने कठौंदा में डॉग हाउस का निर्माण कराया है, जहाँ आवारा कुत्तों की नसबंदी की जाती है। रोजाना करीब 5 से 7 कुत्तों की नसबंदी यहाँ की जाती है और उन्हें कुछ दिनों तक केंद्र में ही रखा जाता है, ताकि नसबंदी सफल हो जाए। इसके बाद उन्हें जहाँ से लाया जाता है वहीं छोड़ भी दिया जाता है। जिस तेजी से कुत्तों की संख्या बढ़ रही है उस हिसाब से नसबंदी नहीं की जा रही है और यही कारण है कि शहर के कई क्षेत्र तो आवारा कुत्तों के आतंक से परेशान हो गए हैं। 
एक मासूम को तो नोंच खाया - आवारा कुत्तों का खौफ बढ़ता ही जा रहा है। पिछले  दिनों माढ़ोताल में  एक नवजात बच्ची की मृत्यु भी कुत्तों के हमले में हो चुकी है, इसके बाद भी निगम कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। 
रोजाना कई पर हमला 8आवारा कुत्ते रोजाना जिले में 100 से अधिक लोगों को काटते हैं और इनके शिकार लोग सरकारी अस्पताल में इंजेक्शन लगवाने चक्कर काटते हैं। सालाना कुछ लोगों की मृत्यु भी हो जाती है। आवारा कुत्ते लगातार इंसानों के लिए खतरा बन रहे हैं, इसके बाद भी गंभीरता से इस समस्या का निराकरण नहीं किया जा रहा है। 
 

Created On :   18 March 2021 3:07 PM IST

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