सातवें वेतनमान के लिए खर्च होंगे 21 हजार करोड़, 17.27 लाख कर्मचारियों को होगा फायदा

21 thousand crore will be spent for the seventh pay commission
सातवें वेतनमान के लिए खर्च होंगे 21 हजार करोड़, 17.27 लाख कर्मचारियों को होगा फायदा
सातवें वेतनमान के लिए खर्च होंगे 21 हजार करोड़, 17.27 लाख कर्मचारियों को होगा फायदा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के सरकारी कर्मचारियों के लिए सातवां वेतन आयोग लागू होने के बाद प्रदेश सरकार की तिजोरी पर हर साल 21 हजार 530 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा। राज्य के लगभग 17 लाख 27 हजार कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग का लाभ मिलेगा। विधान परिषद में प्रदेश के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने यह जानकारी दी। वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए पूर्व आईएएस अधिकारी के पी बक्क्षी की अध्यक्षता में कमेटी गठित की है। समिति की रिपोर्ट आने के बाद सरकार सातवें वेतन आयोग को लागू करने के बारे में अंतिम फैसला लेगी। मुनगंटीवार ने कहा कि सातवें वेतन आयोग को लागू करने में यदि दो से तीन महीने की देरी होने पर भी कर्मचारियों को कोई नुकसान नहीं होगा।

प्रश्नकाल के दौरान सदन में जेडीयू (शरद यादव) के सदस्य कपिल पाटील और राष्ट्रवादी कांग्रेस के सदस्य विक्रम काले ने इस संबंध में सवाल पूछा था। इस दौरान मुनगंटीवार ने बताया कि राज्य में सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 58 से 60 साल करने के संबंध में खुटआ कमेटी गठित की गई है। यह कमेटी जल्द ही सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। मुनगंटीवार ने कहा कि राज्य के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 साल करने पर सरकार के खजाने पर 5 से 6 करोड़ रुपए का भार पड़ेगा। इस बीच वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकारी कर्मचारियों के लिए पांच दिन का कामकाज सप्ताह लागू करने के बारे में कोई कमेटी गठित नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि इस बारे में सरकार का सामान्य प्रशासन विभाग फैसला लेगा। मुनगंटीवार ने कहा कि सरकार की महिला कर्मचारियों के लिए मातृत्व अवकाश के बारे में उचित फैसला लिया जाएगा।

परभणी के जिप सीईओ के खिलाफ होगी कार्रवाई
केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय बनाने के लिए मिली निधि को सीधे लाभार्थी को देने के बजाय एनजीओ को देने के मामले में परभणी जिला परिषद के तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के खिलाफ मौजूदा बजट सत्र के समापन से पहले कार्रवाई की जाएगी। विधान परिषद में प्रदेश की ग्रामीण विकास मंत्री पंकजा मुंडे ने यह आश्वासन दिया। सदन में प्रश्नकाल के समय राष्ट्रवादी कांग्रेस के सदस्य अब्दुल्लाखान दुर्राणी ने इससे संबंधित सवाल पूछा था। उन्होंने कहा कि नियमों के अनुसार शौचालय बनाने के लिए लाभार्थी के बैंक खाते में निधि जमा कराई जाती है। लेकिन जिला परिषद के सीईओ ने यह राशि परभणी और नांदेड़ के एनजीओ को बांट दी है।

जवाब में पंकजा ने स्वीकार किया कि सीईओ ने एनजीओ को निधि दी है। उन्होंने बताया की मामला सामने आने के बाद संबंधित एनजीओ से निधि वापस ले ली गई है। पंकजा ने बताया कि प्राथमिक जांच रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन सीईओ, 8 गट विकास अधिकारी, कार्यकारी अभियंता (निर्माण कार्य) और प्राथमिक शिक्षणाधिकारी से स्पष्टीकरण मंगाया गया था। औरंगाबाद के विभागीय आयुक्त स्पष्टीकरण के बारे में जांच कर रहे हैं। इसकी जांच रिपोर्ट बजट सत्र खत्म होने से पहले मंगा कर उचित कार्यवाही की जाएगी।

मनरेगा मजदूरों को घास काटने केंद्र से मांगेगी अनुमति
कुपोषणग्रस्त इलाकों में मनरेगा के मजदूरों को घास काटने की अनुमति देने के लिए प्रदेश सरकार की तरफ से केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। विधान परिषद में राज्य के रोजगार गारंटी मंत्री जयकुमार रावल ने यह जानकारी दी। सदन में प्रश्नकाल के दौरान शेकाप के सदस्य जयंत पाटील ने यह मांग की थी। उन्होंने कहा कि राज्य के कुपोषणग्रस्त 6 लाख 60 हजार बच्चों के परिवार वालों को रोजगार की जरूरत है। इसके जवाब में रावल ने कहा कि केंद्र सरकार के मनरेगा योजना में मजदूरों को घास काटने की अनुमति नहीं है।

फिर भी इस बारे में राज्य सरकार की तरफ से केंद्र को प्रस्ताव भेजा जाएगा। इस बीच रावल ने कहा कि राज्य में मजदूरों को मनरेगा के तहत काम करने के लिए काम की नहीं है। केंद्र सरकार ने मनरेगा के लिए ज्यादा निधि आवंटित किया है। इससे इस साल प्रदेश में मनरेगा के माध्यम से 2500 करोड़ रुपए के काम करने का लक्ष्य रखा गया है। 

Created On :   6 March 2018 6:49 PM IST

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