कटंगा से ग्वारीघाट तक एनएमटी बनाने काटे थे 40 पेड़, अब हरियाली के नाम पर दिख रहीं जंगली झाडिय़ाँ सीमेंट की कुर्सियाँ

40 trees were cut down to make NMT from Katanga to Guarighat, now seen shrubs of cement shrubs
कटंगा से ग्वारीघाट तक एनएमटी बनाने काटे थे 40 पेड़, अब हरियाली के नाम पर दिख रहीं जंगली झाडिय़ाँ सीमेंट की कुर्सियाँ
कटंगा से ग्वारीघाट तक एनएमटी बनाने काटे थे 40 पेड़, अब हरियाली के नाम पर दिख रहीं जंगली झाडिय़ाँ सीमेंट की कुर्सियाँ

एक्सरसाइज के लिए लगे उपकरण गायब, स्मार्ट सिटी के जिम्मेदार बेखबर
डिजिटल डेस्क जबलपुर । शहर को बड़े-बड़े सपने  िदखाए गए। बताया गया कि कटंगा से ग्वारीघाट तक नॉन मोटराइज्ड ट्रैक बनेगा, जहाँ ट्रैक पर लोग साइकिल चला सकेंगे, वॉक कर सकेेंगे, हरियाली होगी। इसके लिए यहाँ मार्ग पर 40 पेड़ों की बलि दी गई, लेकिन अब एनएमटी पूरी तरह बदहाल हो चुका है, यहाँ काटे गए पेड़ों के बदले बतौर हरियाली  किनारों पर जो पौधों की बगिया लगाई गई थी उसका ध्यान भी जिम्मेदारों से रखा न गया। अब आलम ऐसा है कि यहाँ बगिया की जगह  जंगली झाडिय़ों ने ले ली है। उससे तो अच्छा होता पेड़ों को न काटते हुए  मार्ग का चौड़ीकरण कर िदया जाता। सड़क किनारे वाहन पार्किंग के पुख्ता इंतजाम कर िदए जाते। मौजूदा स्थिति में एनएमटी पर साइकिल चलाना तो दूर यहाँ पैदल चलना भी लोगों को असुरक्षित लग रहा है, क्योंकि यहाँ ट्रैक की सुरक्षा के लिए लगाए गए लोहे के बैरियर से पाइप चोरी हो रहे हैं, जिससे ट्रैक के भीतर चलने वाले अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं। एनएमटी लोगों के वॉक करने और साइकिल चलाने के लिए बनाया गया था, लेकिन अफसोस न तो यहाँ लोग वॉक करते दिखते हैं और न ही साइकिल चलाते।
निर्माण सामग्री एवं वाहनों का कब्जा  
एनएमटी पर जगह-जगह निर्माण सामग्रियों के ढेर नजर आते हैं। सड़क के किनारे मौजूद दुकानों में आने वाले ग्राहकों के वाहन भी ट्रैक पर खड़े होते हैं। कुछ रहवासियों के वाहन जो सुरक्षा रेलिंग थोड़ी बहुत बची है उसके भीतर पार्क िदखाई देते हैं। ये सब देखकर भी स्मार्ट सिटी के अधिकारी एनएमटी को सुरक्षित करने कोई कारगर उपाय करते नजर नहीं आते, जिसकी वजह से मनमानी का आलम जोरों पर है।
कुर्सियों में ठेले
 वालों ने बना ली बैठक शुरूआती दिनों  में  यहाँ मार्ग पर जगह-जगह सीमेंट की कुर्सियाँ रखी गईं, ताकि लोग कुछ देर यहाँ बैठकर आराम करने के साथ ही हरियाली का आनंद उठा सकें, साथ ही एक्सरसाइज के लिए कुछ उपकरण लगाए गए थे। अब अधिकांश कुर्सियाँ गायब हो चुकी हैं। एक्सरसाइज के उपकरण भी धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं। जो सीमेंट की कुर्सियाँ बची हैं उसके आसपास गंदगी का अंबार है। यहाँ काबिज चाट, चाइनीज व डोसे के ठेले वाले ग्राहकों को उन्हीं कुर्सियों पर बैठाते हैं।

 

Created On :   15 Dec 2020 2:53 PM IST

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