420 के आरोपी ने निगला जहर, पुलिस पर लगाया प्रताड़ना का आरोप

420 accused swallowed poison, accuses police of harassment
420 के आरोपी ने निगला जहर, पुलिस पर लगाया प्रताड़ना का आरोप
420 के आरोपी ने निगला जहर, पुलिस पर लगाया प्रताड़ना का आरोप

डिजिटल डेस्क सतना। नागौद थाने में दर्ज 420 के प्रकरण में नामजद आरोपी संजय कुमार तिवारी पुत्र रामसुंदर तिवारी निवासी खेरवा टोला ने पुलिस पर प्रताडि़त करने का आरोप लगाते हुए कीटनाशक पी लिया, जिसे परिजन द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ले जाया गया जहां से जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया था। यहां पर डा. पीडी अग्रवाल ने उपचार किया, जिससे स्वास्थ्य में सुधार हो गया लेकिन घर वालों ने बेहतर इलाज के लिए जबलपुर ले जाने की बात कही तो डा. अग्रवाल ने आवश्यक कार्रवाई कर रेफर कर दिया। हालांकि देर शाम पता यह चला कि संजय को शहर के ही नर्सिंग होम में भर्ती करा दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि लगभग 2 वर्ष पूर्व डा. बालमुकुन्द विश्वकर्मा को किश्तों में 9 लाख 60 हजार रूपए का कर्ज दिया था, जिसमें से 1 लाख 60 हजार रूपए चेक के जरिए लौटा दिए गए और शेष रकम की वापसी के लिए स्टाम्प पेपर पर लिखा-पढ़ी कर मई 2018 की तारीख तय की गई, लेकिन समय-सीमा निकलने पर भी रूपए नहीं मिले, तब न्यायालय में वसूली दावा कर दिया। इससे बचने के लिए डा. विश्वकर्मा ने नागौद थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया। पुलिस ने भी जांच के बिना ही गिरफ्तारी का दबाव बना दिया। रविवार सुबह नागौद पुलिस के एसआई मुकेश डेहरिया घर आ धमके, तब लोक-लाज के चलते कीटनाशक पी लिया। 
नागौद में मुकदमा दर्ज, कई जगह चल रही जांच
वहीं पुलिस अधीक्षक रियाज इकबाल ने बताया कि संजय तिवारी के खिलाफ 26 अप्रैल को नागौद थाने में अपराध क्रमांक 265/19 धारा 420, 34 आईपीसी कायम किया गया था, जिसमें उसके बेटे शिवम तिवारी और दोस्त हन्नू अली को भी आरोपी बनाया गया है। इनके खिलाफ डा. बालमुकुन्द विश्वकर्मा ने छोटे भाई बालगोविंद विश्वकर्मा और रिश्तेदार रोशनलाल विश्वकर्मा का एडमीशन कराने के नाम पर 9 लाख 60 हजार रूपए ठगने की शिकायत की थी। डा. विश्वकर्मा ने बताया कि बीएएमएस व बी.फार्मा के एडमीशन की तारीख निकल जाने से वह परेशान थे, तभी हन्नू अली से मुलाकात हुई जिसने कम्प्यूटर सेंटर चलाने वाले संजय तिवारी और उसके बेटे शिवम से मिलाया था। पिता-पुत्र ने बीएचयू व सागर विश्वविद्यालय में कराने का भरोसा दिलाया तथा 55 हजार रूपए नगद व चेक के जरिए 1 लाख 60 हजार रूपए ले लिए। इसी प्रकार फीस, हॉस्टल खर्च व अन्य खर्च बताकर धीरे-धीरे 9 लाख 60 हजार हड़प लिए, पर एडमीशन नहीं कराया। जब उन्होंने रूपए वापस मांगे तो बहानेबाजी करने लगा। 
 

Created On :   4 Nov 2019 9:00 AM GMT

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