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3 राज्यों में 100 दिन तक ठेकेदार के चंगुल में बंधक रहे सीधी के 43 श्रमिक अंतत : घर पहुंचे

डिजिटल डेस्क सतना सीधी । पहले महाराष्ट्र, फिर कर्नाटक और फिर तेलंगाना में तकरीबन 100 दिनों तक ठेकेदार के चंगुल में रहे सीधी जिले के करमई और ब्यौहारी गांव के 43 आदिवासी श्रमिकों को बुधवार को अंतत: उनके घरों तक सुरक्षित पहुंचा दिया गया। सुरक्षित घर पहुंचाए गए इन परिवारों में 14 पुरुष, 12 महिलाएं और 17 नाबालिग बच्चे हैं। इससे पहले श्रमिकों को सीधी पुलिस की एक पार्टी यशवंतपुर-लखनऊ एक्सप्रेस से लेकर सतना पहुंची। सतना स्टेशन से विशेष बस से सभी को सीधी के जिला पंचायत भवन के सभागार में ले जाया गया। जहां बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ला, कलेक्टर रवीन्द्र चौधरी और एसपी पंकज कुमावत ने श्रमिकों की कुशलक्षेम ली। सभी को भोजन कराने के बाद मेडिकल चेकअप कराया गया । सरकारी दावे के मुताबिक सभी के घरों में राशन की भी व्यवस्था की गई है।
और,फिर मिली मुक्ति
ठेकेदार के छल के शिकार श्रमिकों के पास जब कोई और विकल्प नहीं बचा तो उन्होंने जैसे-तैसे अपने गांव से संपर्क साधा और इस तरह से बात बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ला तक पहुंची। उन्होंने जब सीधी के कलेक्टर-एसपी को वस्तु स्थिति बताई तो प्रशासन सक्रिय हो गया। श्रमिकों की लोकेशन मिलने पर पुलिस अधीक्षक पंकज कुमावत ने वानापर्थी की एसपी अपूर्वा राव से बात की। सीधी से एक पुलिस पार्टी भी भेजी गई। सभी श्रमिकों को वानापर्थी से 150 किलोमीटर दूर स्थित सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन तक पुलिस वाहन से ले जाया गया। जहां से सभी बुधवार को यशवंतपुर-लखनऊ एक्सप्रेस से सतना पहुंचे। सीधी के कलेक्टर रवीन्द्र चौधरी ने सभी श्रमिकों को महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
गन्ने की कटाई का लालच देकर फंसाया था श्रमिकों को
श्रमिकों में शामिल मिठाई लाल आदिवासी, रामनाथ और राजेन्द ने बताया कि पिछले साल 25 अक्टूबर को दशहरा के दिन महाराष्ट्र के बीड जिले के रुई गांव का एक श्रमिक ठेकेदार दिनकर खड्डे पिकअप से उनके गांव आया था। गन्ने की कटाई के लिए प्रतिदिन 300 रुपए की मजदूरी देने का आश्वासन देकर अपने साथ ले गया था। ठेकेदार ने एक माह तक महाराष्ट्र के एक गांव में गन्ना की कटाई कराई। फिर इसी काम के लिए कर्नाटक और फिर तेलंगाना के वानापर्थी जिले के पद्मगुड्डा गांव ले गया और फिर सरपंच के हवाले करके गायब हो गया। ठेकेदार के चंगुल से छूटे अन्य श्रमिक केशव, कुसुमकली और विक्रम ने भी बताया कि ठेकेदार दिनकर खड्डे ने एक दिन में 10 क्विंटल (एक टन) गन्ना काटने, बांधने और फिर उसे ट्रक में लोड करने पर ही 300 रुपया देने की नई शर्त रखी। आरोप है कि विरोध करने पर वह बदसलूकी करने लगा। उसने आधा अधूरा मेहनताना भी बंद कर दिया। श्रमिकों को सिर्फ रोज के हिसाब से राशन देने लगा। राशन में भी हफ्ते में सिर्फ एक दिन आटा और हर दिन कच्चा चावल और अपर्याप्त सब्जी दी जाती थी। दाल के दर्शन तक दुर्लभ थे।
Created On :   11 Feb 2021 2:38 PM IST