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सड़क हादसों में बिना हैलमेट पहनीं 580 महिलाओं की हुई मौत

महिलाओं को हैलमैट से छूट देने के मामले पर एनएलयूआई के छात्र ने किया दावा, हाईकोर्ट में सुनवाई अब 10 फरवरी को
डिजिटल डेस्क जबलपुर । दो पहिया वाहन चलाने वाली या उसके पीछे बैठने वाली महिलाओं के लिये हैलमेट की अनिवार्यता न होने को चुनौती देने वाले मामले में नया मोड़ आ गया है। मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने आंकड़े पेश करते हुए कहा कि वर्ष 2015 से वर्ष 2019 तक 2142 सड़क हादसों में 580 ऐसी महिलाओं की मौत हुई है, जो दो पहिया वाहन चलाते समय हैलमेट नहीं पहने थीं। चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने सरकार को जवाब पेश करने एक और मोहलत देते हुए अगली सुनवाई 10 फरवरी को निर्धारित की है।
राष्ट्रीय विधि संस्थान विवि भोपाल (एनएलयूआई) के छात्र हिमांशु दीक्षित की ओर से दायर इस जनहित याचिका में कहा गया है कि मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 129 के तहत दो पहिया वाहन चलाते समय हैलमेट पहनना आवश्यक है। यह धारा सिर्फ और सिर्फ सिख समुदाय के वाहन चालकों व सवारों पर लागू नहीं होती। प्रावधान में उल्लेखित है कि राज्य सरकार चाहे तो कि किसी भी ग्रुप या समुदाय के लिये उक्त प्रावधान में छूट दे सकती है। याचिका में आरोप है कि राज्य सरकार ने महिलाओं को हैलमेट से छूट दे दी है। आरोप यह भी है कि राज्य सरकार द्वारा बनाया गया नियम न केवल संविधान के अनुच्छेद 14, 15 (1) व 21 का उल्लंघन करता है, बल्कि मोटर वाहन अधिनियम 1988 के हैलमेट संबंधित हितकारी प्रावधान की मंशा को भी कुंठित करता है। मामले में आरटीआई के तहत सड़क हादसों से संबंधित महिलाओं के आकड़े भी पेश किए गए हैं। मामले पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 21 अक्टूबर 2019 को अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये थे। मामले पर मंगलवार को आगे हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष स्वयं रखा। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने सरकार को जवाब पेश करने के निर्देश देकर सुनवाई मुलतवी कर दी।
Created On :   22 Jan 2020 2:18 PM IST