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ट्रामा यूनिट में स्वीकृत हैं 60 पद, बिना भर्ती के जुगाड़ से चल रहा काम
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डिजिटल डेस्क, सतना। जिला अस्पताल में 2 करोड़ का ट्रामा यूनिट तैयार होने के बाद चालू भी हो गया, मगर यहां जुगाड़ के डॉक्टरों से ही काम चलाया जा रहा है। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने तय तो यह किया था कि जब ट्रामा यूनिट बनकर तैयार हो जाएगी तो वहां अलग से डॉक्टरों समेत अन्य स्टाफ रखा जाएगा। इसके लिए भोपाल स्तर से 60 पदों का सृजन भी किया गया था, मगर नतीजा ढाक के वही तीन पात रहा। आज तलक एक भी नए स्टाफ की भर्ती नहीं की गई। आलम यह है कि डॉक्टरों के नाम पर केवल जिला अस्पताल में पदस्थ अस्थिरोग विशेषज्ञ ही इस ट्रामा यूनिट की शोभा बढ़ा रहे हैं। सर्जिकल स्पेशलिस्ट सिर्फ राउण्ड लगाते हैं। न तो अभी यहां एक अदद डॉक्टर की पदस्थापना की गई है और न ही टेक्नीशियन की।
किए थे 60 पद सृजित
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अवर सचिव के एक आदेश के मुताबिक प्रदेश के जिन 51 जिलों के ट्रामा यूनिट के लिए 60 पदों का सृजन किया गया था। उसमें सतना भी एक था इस यूनिट में एक मेडिकल स्पेशलिस्ट, 2-2 क्रमश: सर्जिकल स्पेशलिस्ट, निश्चेतना विशेषज्ञ, अस्थिरोग विशेषज्ञ, 6 मेडिकल ऑफीसर, 25 स्टाफ नर्स, 2-2 लैब टेक्नीशियन, रेडियोग्राफर समेत डे्रसर ग्रेड-2 के 4 पदों को स्वीकृत किया गया था। वाहन चालक और सफाई कर्मचारियों को आउट सोर्स के माध्यम से रखने के निर्देश दिए गए थे।
डीईआईसी में भी भर्ती नहीं
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जिला अस्पताल में खुलने वाले जिला शीघ्र हस्तक्षेप केन्द्र के लिए भी 4 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे। मगर अब तक स्वास्थ्य विभाग ने कोई भर्ती नहीं किया। बीच में 3 पदों के आवेदन की स्क्रूटनी हो गई थी, मगर प्रदेश स्तर पर गड़बड़ी होने के कारण वह भी निरस्त कर दी गई। डीईआईसी के लिए फिजियोथेरेपिस्ट, फिजियोलॉजिस्ट, ऑडियोलॉजिस्ट प्लस स्पीच थेरेपिस्ट और इयरली इंटरवेशन कम स्पेशल एजूकेटर के पदों की भर्तियां होना है।
5 हजार वर्गफीट जमीन भी मयस्सर नहीं
जन्मजात कटे-फटे होंठ, पैरों के टेढ़ेपन से जूझ रहे बच्चों की स्क्रीनिंग के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) को महज 5 हजार वर्गफीट जमीन की जरूरत है। मगर सिविल सर्जन डॉ. एसबी सिंह ने अब तक जमीन का एक टुकड़ा भी नहीं दिया। वैसे तो डीईआईसी के लिए अलग भवन स्वीकृत है, मगर जब तक भवन लायक जमीन का इंतजाम नहीं हो जाता तब तक 5 हजार स्क्वेयर फीट में वैकल्पिक व्यवस्था करना है, मगर इसमें भी स्वास्थ्य विभाग विफल हो गया। पिछली पीआईपी में भवन की स्वीकृति भी मिल गई थी मगर जमीन नहीं होने के कारण वह भी जाती रही।
इनका कहना है
राज्य शासन ने ट्रामा यूनिट के लिए 60 पद सृजित तो किए थे मगर उन पदों पर भर्तियां नहीं हो सकी हैं। यहां भर्ती मरीजों को आथोपेडिक्स सर्जन और शल्य क्रिया विशेषज्ञ देखते हैं। भोपाल से ही भर्तियां होना है।
इकबाल सिंह प्रशासक, जिला अस्पताल
Created On :   3 Jun 2019 5:45 PM IST