शहर की 70 फीसदी आबादी को अब भी कोरोना का खतरा - डेढ़ माह बाद आई सीरो सर्वे की रिपोर्ट

70 percent of the citys population is still at risk of corona - report after one and a half months
शहर की 70 फीसदी आबादी को अब भी कोरोना का खतरा - डेढ़ माह बाद आई सीरो सर्वे की रिपोर्ट
शहर की 70 फीसदी आबादी को अब भी कोरोना का खतरा - डेढ़ माह बाद आई सीरो सर्वे की रिपोर्ट

*  27 वार्ड ऐसे जहाँ 33 प्रतिशत लोगों में मिली एंटीबॉडी
*  45 से 60 वर्ष के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
कोरोना काल में शहर में कितने लोगों में एंटीबॉडी डेवलप हुई, इस बात को जानने के लिए मेडिकल कॉलेज द्वारा स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से कराए गए सीरो सर्वे के नतीजे अंतत: डेढ़ माह बाद आ गए। दिल्ली के एनआईसीडी द्वारा शहर के 79 वार्डों में कराए सीरो सर्वे की रिपोर्ट तैयार की गई है, जिसमें सर्वे से मिले नतीजे शामिल हैं। शहर की लगभग 70 प्रतिशत आबादी को अब भी कोरोना का खतरा है, वहीं सैंपलिंग में 30 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी मिली है। जिसका मतलब यह कि इन्हें कोरोना संक्रमण तो हुआ, लेकिन वे अपने आप ठीक हो गए और उन्हें इसका पता भी नहीं चला। गत वर्ष दिसंबर माह में 12 दिनों तक चले सर्वे में 9279 हजार लोगों का एंटीबॉडी टेस्ट हुआ। यह सर्वे 40 टीमों ने शहर के 79 वार्डों में किया। सर्वे में ऐसे लोगों का एंटीबॉडी टेस्ट किया गया, जो सैंपल देने तक संक्रमित न हुए हों तथा कोरोना संक्रमण काल के दौरान जिनमें संदिग्ध लक्षण न रहे हों। 
सर्वे के परिणाम  
* आबादी के 28.72 प्रतिशत यानी 346426 व्यक्तियों में एंटीबॉडी बनी, यानी ये लोग संक्रमित हुए, लेकिन उन्हें पता नहीं चला।  
* निगम के 24 वार्डों में 25 प्रतिशत से कम, 28 वार्डों में 25 से 33 प्रतिशत और 27 वार्डों में 33 प्रतिशत से ज्यादा लोगों तक कोरोना पहुँचा।
* पुरुषों में 30.83 प्रतिशत और महिलाओं में 27.36 प्रतिशत आबादी में संक्रमण पहुँचा। 
*  45-60 वर्ष के लोगों में सर्वाधिक 32.05 प्रतिशत और 0 से 18 वर्ष की उम्र में सबसे कम 27.51 प्रतिशत एंटीबॉडी बनी।
सभी वर्गों में समान प्रभाव
कोरोना संक्रमण ने शहर में समाज के सभी वर्गों को एक समान प्रभावित किया। सघन बस्तियों और पॉश रहवासी इलाकों के आँकड़ों की तुलना में कोई भी अंतर सामने नहीं आया। वहीं हाईरिस्क ग्रुप्स समेत सभी को अभी भी संक्रमण रोकने के लिए सभी सावधानियाँ बरतनी जरूरी हैं। रिपीट सर्वे 10 से 12 हफ्तों में प्लान किया जा सकता है। रिपोर्ट एनसीडीसी के डायरेक्टर डॉ. सुजीत सिंह के द्वारा जारी की गई है। 
क्या हुआ था सर्वे में
* नमूनों की जाँच के बाद रिपोर्ट कम्पाइल करने का काम मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग को दिया गया था।  
* संक्रमण का पता लगाने प्रत्येक वार्ड से करीब 150-170 व्यक्तियों का टेस्ट किया गया।
*  सर्वे में बच्चों, महिला और पुरुष, तीनों वर्गों में सैंपलिंग हुई। वार्ड के अलग-अलग क्षेत्रों से नमूने लिए गए।
* स्वास्थ्य कर्मियों ने एप के माध्यम से संबंधित व्यक्ति की जानकारी दर्ज की, एक घर से एक व्यक्ति का सैंपल लिया गया।
 

Created On :   15 Feb 2021 2:50 PM IST

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