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बिना कारण हॉर्न बजाने से 70 प्रतिशत ध्वनि प्रदूषण

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश सरकार के परिवहन विभाग के प्रधान सचिव मनोज सौनिक ने कहा कि वातावरण में लगभग 70 प्रतिशत ध्वनि प्रदूषण वाहनों की आवाजाही के कारण होता है। इसमें 70 प्रतिशत प्रदूषण बिना कारण वाहनों के हॉर्न बजाने से होता है। सौनिक ने कहा कि विकसित देशों में कहीं पर भी हॉर्न नहीं बजाया जाता है। हम लोगों को भी हॉर्न से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को रोकना चाहिए।
हॉर्न नॉट ओके प्लीज का लगाया नारा
रविवार को मुंबई मैराथन में प्रदेश के परिवहन, आरटीओ, एसटी विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों सहित प्रदूषण मुक्ति के लिए काम करने वाले लगभग 300 स्वयं सेवकों ने हॉर्न नॉट ओके प्लीज का नारा दिया। सैनिक ने कहा कि पिछले दो महीनों में हॉर्न नॉट ओके प्लीज अभियान चलाया जा रहा है। सभी लोगों को हॉर्न न बजाने का संकल्प लेकर वातावरण ध्वनि प्रदूषण को रोकने में मदद करनी चाहिए।
अच्छा स्वास्थ्य रखने का प्रयास
इससे पहले ध्वनि प्रदूषण टालने और अच्छा स्वास्थ्य रखने का संदेश देते हुए कई लोगों ने हॉफ मैराथन और कुछ लोगों ने ड्रीम रन में हिस्सा लिया। नो हॉन्किंग का संदेश देने वाली पीली टी शर्ट और टोपी पहने हुए अधिकारी, कर्मचारी और स्वयं सेवकों ने सभी का ध्यान खींचा। मैराथन में हॉर्न नॉट ओके प्लीज के पोस्टर की झलक दिखने को मिली। इस दौरान ध्वनि प्रदूषण और विशेष रूप से वाहनों की आवाजाही से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्परिणाम की जानकारी दी गई। इस दौरान परिवहन विभाग के प्रधान सचिव मनोज सौनिक, मंत्रालय के विभिन्न विभागों के सचिव, उपसचिव, आईएएस एसोसिएशन, मुंबई आरटीओ, एसटी मुख्यालय के कर्मचारी मौजूद थे।
ध्वनि प्रदूषण का ये खतरा
ध्वनि प्रदूषण या ज्यादा शोर किसी भी प्रकार की गैरजरूरी ध्वनियों को कहते हैं, जिससे मानव और जीव-जंतुओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसमें यातायात के दौरान उत्पन्न होने वाला शोर मुख्य कारण हैं। जनसंख्या और विकास के साथ ही यातायात और वाहनों की संख्या में भी वृद्धि होती हैं, जिसके कारण यातायात के दौरान होने वाला ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ने लगता है। अत्यधिक शोर से व्यक्ति के सुनने की शक्ति भी चले जाने का खतरा होता है।
Created On :   21 Jan 2018 7:10 PM IST