सुनार नदी की बाढ़ में फंसी 8 भैसों को 18 घंटे रेस्क्यू कर सुरक्षित निकाला गया

8 buffaloes trapped in the floods of goldsmith river were rescued for 18 hours and rescued
सुनार नदी की बाढ़ में फंसी 8 भैसों को 18 घंटे रेस्क्यू कर सुरक्षित निकाला गया
सुनार नदी की बाढ़ में फंसी 8 भैसों को 18 घंटे रेस्क्यू कर सुरक्षित निकाला गया सुनार नदी की बाढ़ में फंसी 8 भैसों को 18 घंटे रेस्क्यू कर सुरक्षित निकाला गया

डिजिटल डेस्क  नरसिंहगढ़ । नरसिंहगढ़ पुलिस चौकी क्षेत्र के महुना गांव निवासी राजू और वीर सिंह की करीब 8 भैसें रविवार दोपहर 3 से 4 बजे के बीच घासखाते-खाते मुकरबा घाट स्टॉप डेम के पास पहुंची और फिर सुनार नदी के अंदर चली गई। लेकिन नदी  के तेज बहाव के कारण 8 भैसें और एक बछड़ा बहने लगे। वे  बहते हुए नदी के बीच में  पहुंच गई। महुना घाट से करीब 500 मीटर दूर नदी के बीचोबीच पत्थर की चट्टान पर जाकर सभी वैसे झुंड बनाकर खड़ी हो गई। यह देख पशु पालक पहुंचे और सभी मवेशियों को निकालने का प्रयास शुरू किया, लेकिन नदी में पानी तीब्रवेग से बहने के कारण बीच नदी में जाने के लिए कोई हिम्मत नहीं जुटा पाया। मामले की सूचना राजू सिंह ने नरसिंहगढ़ चौकी पुलिस को दी। फिर चौकी पुलिस ने इसकी कंट्रोल रूम में सूचना दी। यहां से सूचना मिलने पर दमोह की एनडीआरएफ प्रभारी प्राची दुबे अपनी रेस्क्यू टीम के साथ रविवार शाम करीब 5 बजे  नरसिंहगढ़ पहुंची और भैसों को रेस्क्यू कर निकालने का प्रयास शुरू किया लेकिन शाम को अंधेरा हो जाने के कारण रेस्क्यू करना मुश्किल होने पर टीम वापस आ गई। फिर सोमवार की सुबह करीब 5 बजे प्लाटून कमांडर विंद्वाश चौधरी टीम के साथ पहुंचे और नदी के दोनों तरफ से बचाव कार्य शुरू किया। किंतु नदी में पानी के तेज बहाव और गहराई की वजह से रेस्क्यू प्रभावित होता रहा। बाद में बचाव टीम के सदस्य दिलीप तिवारी, अशोक कुमार, महफूज खान भैंसों  के पास तक तो पहुंच गए लेकिन भैसों का झुंड अपने स्थान से टस की मस होने को भी तैयार नहीं हुई। वे भैसों को किनारे की तरफ ले जाने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन उनकी यह सारे प्रयास  सफल नहीं हो पा रहे थे। 
नरसिंहगढ़ के युवाओं के प्रयास से निकली भैंस:
सोमवार सुबह करीब 11 बजे नरसिंहगढ़ के तैराकी युवा और भैंसों के स्वभाव से परिचित रघुवीर रैकवार ने कड़ी मेहनत करते हुए टीम के सदस्यों का मागदर्शन लेकर रस्सी के सहारे भैंसों के पास पहुंचा। फिर भैंसों को सावधानी के साथ मढिय़ा की तरफ लेकर गया। रघुवीर ने भैसों को अपने पीछे आने और नदी से बाहर निकालने में सफलता हासिल की। 
 

Created On :   9 Aug 2021 5:34 PM IST

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