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बस स्टॉप पर आकर रुक गई एक दीपक की जिंदगी
डिजिटल डेस्क जबलपुर। पटरी पर दौड़ रही जिंदगी कब बेपटरी हो जाए, खुशियाँ कब बेबसी और लाचारी में तब्दील हो जाएँ, कोई नहीं जानता। दीपक को भी कहाँ पता था कि एक दिन उसकी जिंदगी बस स्टॉप पर आकर इस तरह रुकेगी कि आगे जाने के सब रास्ते बंद हो जाएँगे। जब अपनों की जरूरत सबसे ज्यादा होगी, तब साथ देने वाला कोई नहीं होगा। देवताल गढ़ा के मेट्रो बस स्टॉप पर दीपक नाम का युवक पिछले कई महीनों से असहाय अवस्था में पड़ा हुआ है। उसकी बेबसी आँखों में साफ दिखती है। आस-पास से गुजरते राहगीरों की आहट उसे उम्मीद तो देती है लेकिन किसी से कुछ कह नहीं पाता। अपना दर्द बयाँ नहीं कर पाता। चल-फिर नहीं सकता, बोल नहीं सकता। कोई नजदीक जाए तो इशारों में अपनी बात रखने की कोशिश करता है। आस-पास के लोगों के अनुसार युवक लकवाग्रस्त है, जिसके चलते उसकी यह हालत हो गई है। स्थानीय लोगों ने बताया कि युवक इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज आया था, लेकिन उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ। 4-5 माह पहले वह बस स्टॉप पर पहुँचा, तब उसके साथ परिवार के लोग थे लेकिन उसके बाद सब एक-एक कर साथ छोड़कर चले गए।
कटनी का है युवक-
स्थानीय निवासियों सुनील तिवारी, सत्यम चौरसिया के अनुसार युवक का पूरा नाम दीपक जायसवाल है, जिसकी उम्र करीब 38 वर्ष है और वह कटनी का रहने वाला है। नजदीक में ही एक महिला रहती है, जो खुद को रिश्ते में युवक की चाची बताती है। वह प्रतिदिन युवक के पास आती है और खाना खिलाकर चली जाती है। युवक का नाम, निवास स्थान आदि की जानकारी भी उसी महिला ने दी है। लोगों के अनुसार उक्त महिला मजदूरी कर अपना पेट पालती है और उसी में से जो बचता है, उससे युवक के खाने-पीने का इंतजाम करती है, हालाँकि इसके बाद युवक की सुध लेने वाला कोई नहीं है। बारिश के इस मौसम में भी वह अपने हाल में पड़ा हुआ है।
गंदगी और आवारा पशु करते हैं परेशान-
पिछले कई महीनों से बस स्टॉप पर रह रहे दीपक पर आज तक जिम्मेदारों का ध्यान नहीं गया। स्मार्ट सिटी और आधुनिकता की दौड़ में पीडि़त मानवता की आवाज सुनने वाला कोई नहीं है, जिसके चलते युवक गंदगी में रहने पर मजबूर है। आए दिन आवारा कुत्ते, सुअर आदि परेशान करते हैं, लेकिन असहाय होने के चलते वह कुछ कर नहीं पाता।
सिर्फ आश्वासन मिला
स्थानीय निवासी गजेंद्र दुबे के अनुसार कुछ दिन पहले नगर निगम गढ़ा संभाग की सीएसआई हर्षा पटेल को युवक के बारे में जानकारी दी गई थी, जिसके बाद वे मौके पर भी पहुँचीं थीं, तब उनसे मदद का आश्वासन मिला था। नजदीक में ही निगम का रैन बसेरा है, अधिकारी चाहें तो युवक को वहाँ शिफ्ट कर सकते हैं। उपचार के लिए आगे आ सकते हैं, लेकिन इसके बाद कुछ नहीं हुआ।
Created On :   31 July 2021 11:14 PM IST