आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप से 18 साल बाद बरी हुआ युवक

A young man acquitted 18 years after being accused of suicidal behavior
आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप से 18 साल बाद बरी हुआ युवक
आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप से 18 साल बाद बरी हुआ युवक

डिजिटल डेस्क,मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने 18 साल बाद एक विवाहित महिला को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में दोषी पाए गए आरोपी को बरी कर दिया है। महिला के पति संभाजी पाटील ने अपनी पत्नी की नदी में लाश मिलने के बाद पुलिस में आरोपी राजा राम माने के खिलाफ 1999 में शिकायत दर्ज कराई थी।

ये था मामला
मामले में पाटील ने आशंका जाहिर की थी कि माने व उसकी पत्नी के अवैध संबंध थे। जिसके चलते उसकी पत्नी ने आत्मघाती कदम उठाया है। पुलिस ने मामले की छानबीन करने के बाद कोल्हापुर कोर्ट में आरोप पत्र दायर किया था।   निचली अदालत ने मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद माने को पाटील की पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में छह साल के कारावास की सजा सुनाई थी। सजा के खिलाफ माने ने हाईकोर्ट में अपील की थी। न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल के सामने माने की अपील पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े सबूतों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि सबूतों से ऐसा नहीं प्रतीत होता है कि माने ने पाटील की पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाया है। सिर्फ इस आशंका के आधार पर माने को दोषी ठहराया गया है कि उसके पाटील की पत्नी के साथ अवैध संबंध थे। लेकिन जो सबूत उपलब्ध हैं उसके अाधार पर ऐसा निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता। अभियोजन पक्ष इस मामले में आरोपी पर लगे आरोपों को संदेह से परे जाकर साबित करने में विफल रहा है। इसलिए मैं अभियोजन पक्ष की दलीलों से सहमत नहीं हूं। न्यायमूर्ति ने कहा कि निचली अदालत ने सबूतों को स्वीकार करने के संबंध में अपने फैसले में तार्किक कारणों का जिक्र नहीं किया है। इसके साथ ही इसका भी उल्लेख नहीं है कि कैसे आरोपी ने पाटील की पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाया है। यह कहते हुए न्यायमूर्ति ने माने को इस मामले से बरी कर दिया। 
 

Created On :   7 April 2018 11:48 AM GMT

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