बैगा परिवार भूखे मरने की कगार पर और वापस हो गया पोषण आहार का डेढ़ करोड़ रुपए

About 1 crore rupees for nutrition of baiga tribal gone returned
बैगा परिवार भूखे मरने की कगार पर और वापस हो गया पोषण आहार का डेढ़ करोड़ रुपए
बैगा परिवार भूखे मरने की कगार पर और वापस हो गया पोषण आहार का डेढ़ करोड़ रुपए

डिजिटल डेस्क, शहडोल। शासन की ओर से बैगा परिवारों के मुखिया के प्रतिमाह दिए जाने वाली पोषण आहार अनुदान की राशि मिलने में नियम ही आड़े आ रहे हैं। कहीं बैंक खाता एनपीए हो जाने की समस्या आ रही है तो कहीं आदिवासियों को अपनी पहचान साबित करने के लिए दस्तावेजों की कमी आड़े आ रही है। यही कारण है कि जारी होने के बाद अभी तक डेढ़ करोड़ से भी अधिक की राशि बैंकों से वापस हो चुकी है।

संभाग में बैगा जनसंख्या 164816 है तथा यहां कुल 52623 बैगा परिवार निवासरत हैं। इनमें से 49637 बैगा परिवारों को पोषण आहार अनुदान योजना स्वीकृत की गई। स्वीकृत राशि 3970.96 है। इन परिवारों को लगभग 3 करोड़ 72 लाख रुपए वितरित किए जा चुके हैं। शेष 3050 हितग्राहियों के भुगतान हेतु कोषालय में देयक प्रस्तुत है। उमरिया जिले में बैगा जनसंख्या 68835, अनूपपुर जिले में 12000 तथा शहडोल जिले में बैगा जनसंख्या 83981 है।

तो कैसे जमा होगी राशि
बैंकों में हितग्राहियों के खाते या तो मनरेगा के तहत खोले गए हैं या फिर जनधन योजना के। यह खाते सरकार के निर्देश पर खोले गए हैं। क्योंकि हितग्राही नगद राशि का लाभ लेना चाहता है। शासन की मंशा के अनुरूप कोई भी सहायता राशि या अनुदान राशि हितग्राही के खाते में जमा करनी हैं तो मनरेगा या जनधन योजना के खोले गए खाते बंद नहीं होने चाहिए थे।

इसलिए आ रही परेशानी
ट्रायबल विभाग के अनुसार बैगा परिवारों को पोषण आहार अनुदान राशि के वितरण में सबसे बड़ी दिक्कत नॉन परफारमेंस अकाउंट (एनपीए) की आ रही है। क्योंकि अधिकांश हितग्राहियों के खाते बैंकों ने बंद कर दिए हैं। जिसके कारण राशि वापस हो रही है। इसके अलावा कुछ जातिगत दिक्कतें भी सामने आ रही हैं। जिसके तहत कई परिवार जो पहले अन्य जाति में थे वह अब खुद को बैगा बता रहे हैं। जबकि उनके पास बैगा जाति से संबंधित कोई अभिलेख ही नहीं है। इस स्थिति में ऐसे परिवारों को लाभान्वित करना संभव नहीं हो पा रहा है।

इनका कहना है
बैगा परिवारों के कई ऐसे मुखिया हैं, जिनके नाम राशि बैंकों में भेजे जाने के बाद वापस हो रही हैं। ऐसी संख्या हजारों में है। फिर प्रयास हैं कि पात्रों को राशि मिले।
जेपी सरवटे उपायुक्त, आदिवासी विकास विभाग

 

Created On :   12 Sept 2018 1:54 PM IST

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