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एसीबी को मिली भ्रष्टाचार की 6213 शिकायतें, सिर्फ एक मामले में हुई एफआईआर
डिजिटल डेस्क, मुंबई। भ्रष्टाचार लगाम लगाने के लिए बनी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) अपने काम में लगातार नाकाम होती दिख रही है। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मिली जानकारी के मुताबिक 1 जनवरी 2019 से 5 अक्टूबर 2021 तक एसीबी मुंबई को भ्रष्टाचार की कुल 6213 शिकायतें मिलीं हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ एक मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। एसीबी का दावा है कि कुल शिकायतों में से 213 ही प्राथमिक जांच लायक पाई गईं। इनमें से 174 की जांच अब भी चल रही है जबकि 38 मामलों में सबूत के अभाव में छानबीन बंद कर दी गई है।
19 में से चार मामलों में ही दोषी
सिर्फ शिकायतें दर्ज करने में ही नहीं बल्कि एफआईआर दर्ज करने के बाद आरोपों को अदालत में साबित करने में भी एसीबी नाकाम होती दिख रही है। पिछले दो सालों में भ्रष्टाचार के जिन 19 मामलों में फैसले सुनाए गए हैं उनमें सिर्फ 4 में एसीबी आरोपियों को दोषी साबित कर पाई है जबकि 15 मामलों में आरोपी बरी हो गए हैं। एसीबी ज्यादातर मामलों में सरकारी अधिकारियों को घूस लेते हुए रंगेहाथ पकड़ती है। ऐसे में आरोपियों के इतनी आसानी से बरी हो जाने पर कई सवाल खड़े होते हैं। यही नहीं एक मामले में सुनवाई के बाद बांबे हाईकोर्ट ने निर्देश दिए थे कि एसीबी भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में शिकायत संबंधित विभाग के अधिकारियों को न भेजे। इसके बावजूद एसीबी ने अपने पास आई शिकायतों में से 3523 मामले संबंधित विभागों के प्रमुखों के पास भेज दिया।
भुजबल के खिलाफ चार सालों से जारी है जांच
साल 2015 से विधानसभा और विधान परिषद सदस्यों के खिलाफ चल रहे मामलों को लेकर एसीबी ने जो जानकारी उपलब्ध कराई है उसके मुताबिक राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल, उनके भतीजे समीर भुजबल और बेटे पंकज भुजबल के खिलाफ जून 2015 में दर्ज दो मामले सत्र न्यायालय में चल रहे हैं। जबकि 2016 में तीनों और 2017 में समीर और पंकज के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के मामलों की जांच अब भी चल रही है।
इच्छाशक्ति का अभाव
‘द यंग विसलब्लोवर्स फाउंडेशन’ के संयोजक जितेंद्र घाडगे के मुताबिक अगर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) कानून के मुताबिक आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे तो 90 फीसदी भ्रष्टाचार नियंत्रण में आ जाएगा लेकिन एसीबी अपना काम ठीक से नहीं कर पा रही है। राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव भी इसकी एक वजह है। अगर एसीबी छोटी मछलियों की जगह बड़े भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा कसकर उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचाए तो लोकायुक्त कानून की जरूरत भी नहीं महसूस होगी।
Created On :   24 Nov 2021 7:48 PM IST