दस साल की बच्ची के साथ गैंगरेप के आरोपी की 20 साल की सजा बरकार

Accused of gang-raping a 10-year-old girl has been sentenced to 20 years
दस साल की बच्ची के साथ गैंगरेप के आरोपी की 20 साल की सजा बरकार
हाईकोर्ट दस साल की बच्ची के साथ गैंगरेप के आरोपी की 20 साल की सजा बरकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले में दोषी पाए गए एक आरोपी की 20 साल की कारावास की सजा को बरकार रखा है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया है कि इस मामले में भले एक आरोपी वयस्क है जबकि दूसरा नाबालिग है। लेकिन दोनों आरोपियों ने दस वर्षीय पीड़िता के यौन उत्पीड़न में सक्रिय भूमिका निभाई है। इसलिए यह मामला सामूहिक दुष्कर्म के मामले के दायरे में आता है। इस दौरान हाईकोर्ट ने पाक्सो अदालत के उस मत को सही ठहराया है जिसके तहत कहा गया था कि यदि आरोपी का गुप्तांग पीड़िता के गुप्तांग को स्पर्श भी करता है तो यह दुष्कर्म की परिभाषा के दायरे में आएगा। पीड़िता ने आरोपी पर अश्लील व अप्राकृतिक हरकत करने के लिए मजबूर करने का भी आरोप लगाया था। 

वहीं आरोपी के वकील ने दावा किया था कि इस मामले में पीड़िता के बयान से प्रतीत होता है कि इस मामले में वास्तविक रुप से दुष्कर्म नहीं हुआ है। मेरे मुवक्किल को इस मामले में फंसाया गया है। मेरे मुवक्किल पर लगाए गए आरोप सही नहीं है। कई महत्वपूर्ण गवाहों का परीक्षण नहीं किया गया है।  

आरोपी को कलवा पुलिस ने इस मामले में साल 2015 में गिरफ्तार किया था। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ पाक्सो कानून की धारा 4,8,42, व 12 के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2), व 376डी सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। पीड़िता के मुताबिक वह नाबालिग आरोपी के कहने पर आरोपी के घर पर गई थी। जहां आरोपी ने घर के भीतर जाने के बाद दरवाजा बंद कर लिया था। फिर उसके साथ दुष्कर्म व अश्लील हरकत की। पाक्सो अदालत ने पीड़िता के बयान को विश्वसनीय मानते हुए 22 दिसंबर 22017 को  अधिकतम 20 साल के कारावास की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील की थी। 

न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल के सामने आरोपी की अपील पर सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने इस मामले में आरोपी पर लगे आरोपों को संदेह से परे जाकर साबित किया है। इस मामले में दो आरोपी थे। जिसमें से एक नाबालिग था लेकिन दोनों आरोपियों ने दुष्कर्म में सक्रिय रुप से हिस्सा लिया था। इसलिए यह मामला 376डी(सामूहिक दुष्कर्म) के दायरे में आता है। इस मामले में निचली अदालत द्वारा सुनवाई गई सजा न्यूनतम है। हमे अपील आधारहीन नजर आ रही है। इसलिए अपील को खारिज किया जाता है।  

 

Created On :   3 Oct 2022 8:51 PM IST

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