एसिड हमले की शिकार पीड़िता अतिरिक्त मुआवजे पाने की भी हकदार, निशुल्क उपचार का भी प्रावधान

Acid attack victim also entitled to get additional compensation, also provision of free treatment
एसिड हमले की शिकार पीड़िता अतिरिक्त मुआवजे पाने की भी हकदार, निशुल्क उपचार का भी प्रावधान
हाईकोर्ट एसिड हमले की शिकार पीड़िता अतिरिक्त मुआवजे पाने की भी हकदार, निशुल्क उपचार का भी प्रावधान

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने गुरुवार अपने एक फैसले में स्पष्ट किया है कि एसिड हमले की शिकार पीड़िता अतिरिक्त मुआवजे पाने की भी हकदार है। पर्सन विथ डेसेबिलिटी कानून 2016 में पीड़िता के पुनर्वास के लिए कदम उठाने व उसके निशुल्क उपचार का भी प्रावधान उपलब्ध है। यह बात साफ करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को एसिड हमले का शिकार  एक पीड़िता को दस लाख रुपए मुआवजा देने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार मुआवजे की रकम निर्धारित की गई तीन महीने की अवधि के भीतर भुगतान करे। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया है कि पीड़ित संविधान के तहत गरिमापूर्ण जीवन जीने की हकदार है। 

न्यायमूर्ति उज्जल भुयान व न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ ने सरकार के मुआवजे की 75 प्रतिशत रकम  पीडिता के नाम फिक्स डिपाजिट में जमा करने को कहा। जबकि 25 प्रतिशत रकम पीड़िता के खाते में जमा करने का निर्देश दिया है। खंडपीठ ने मुंबई जिला विधि सेवा प्राधिकरण को कहा है कि वह पीड़िता को दिव्यांगता का प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए पंजीयन व प्रधानमंत्री राहत कोष व राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण की योजना व केंद्र सरकार की विक्टिम कंपनसेशन फंड 2016 के तहत भी और मुआवाज दिलाने में सहयोग करे। खंडपीठ ने मुंबई विधि सेवा प्राधिकरण के सचिव को आश्वस्त करने को कहा है कि पीडिता को निशुल्क उपचार मिले। जिससे उसकी जरुरी सर्जरी हो सके। 

दहिसर निवासी पीड़िता पर 24 नवंबर 2010 को उसके पति ने उस समय उसके चेहरे  व शरीर पर कोई ज्वलनशील पदार्थ डाला था। जब वह सो रही थी।  जिसके चलते उसका चेहरा बूरी तरह जल गया था। और उसके शरीर पर गहरे जख्म के निशान हुए थे। इस घटना के बाद महिला ने अधिवक्ता अदिती सक्सेना के माध्यम से मनोधैर्य योजना के मुआवजा प्रदान करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 

याचिका में महिला ने दावा किया था कि उसका उपचार में पांच लाख रुपए खर्च हुए है। लेकिन राज्य सरकार से उसे एक रुपए भी नहीं मिला है। याचिका में महिला ने कोर्ट से आग्रह किया था कि उसे अतिरिक्त मुआवजा दिया जाए। ताकि अपनी और सर्जरी करा सके। क्योंकि वह आगे अपना इलाज कराने में सक्षम नहीं है। याचिका पर गौर करने  मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि पीड़िता डिसेबिलिटी कानून के तहत भी मुआवजे की पात्र है। क्योंकि वह इस कानून के तहत उसकी चोट दिव्यांगता की परिभाषा के दायरे में आती है।

खंडपीठ ने कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 357ए निचली अदालत को ऐसे मामले में मुआवजा निर्धारित करने का अधिकार देती है लेकिन निचली अदालत ने कोई मुआवजा नहीं तय किया है। जो की दुर्भाग्यपूर्ण है। याचिकाकर्ता के पास गरिमा के साथ अर्थपूर्ण जीवन जीने का अधिकार है। ऐसे में यदि हम पीड़िता को मुआवजे का आदेश नहीं देते है तो यह कोर्ट की अपने दायित्व निवर्हन से जुड़ी विफलता मानी जाएगी. इसलिए पीड़िता को मुआवजा प्रदान करने का निर्देश दिया जाता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पीड़िता अतिरिक्त मुआवजे की भी हकदार है। 

Created On :   7 Oct 2021 7:29 PM IST

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