बंगले में अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई राजनीतिक प्रतिशोध नहीं 

Action against illegal construction in bungalow is not political vendetta
बंगले में अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई राजनीतिक प्रतिशोध नहीं 
खारिज नारायण राणे की याचिका बंगले में अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई राजनीतिक प्रतिशोध नहीं 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के जुहू स्थिति बंगले के खिलाफ मुंबई महानगरपालिका की कार्रवाई राजनीतिक प्रतिशोध का मामला नहीं हैं। गुरुवार को बांबे हाईकोर्ट ने यह बात कहते हुए राणे की याचिका को खारिज कर दिया। इससे पहले मुंबई महानगरपालिका ने बंगले के एक हिस्से में किए गए अनधिकृत बदलावों को नियमित करने की मांग को लेकर राणे की ओर से किए गए आवेदन को अस्वीकार कर दिया था। मनपा के इस आदेश को राणे ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। 

न्यायमूर्ति आरडी धानुका व न्यायमूर्ति एसजी सिविलिकर की खंडपीठ ने राणे की याचिका पर सुनवाई के बाद कहा कि याचिकाकर्ता (राणे) का मनपा द्वारा उनके आवेदन को खारिज करने के पीछे राजनीतिक प्रतिशोध होने का दावा पूरी तरह से तथ्यहीन है। हालांकि खंडपीठ ने अपने आदेश पर 6 सप्ताह तक के लिए रोक लगाई है, ताकि राणे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सके। इस तरह खंडपीठ ने 6 हफ्ते तक मनपा को राणे के बंगले के खिलाफ कार्रवाई करने से रोक दिया है। 

राणे ने बुधवार को मनपा के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मनपा ने अपने आदेश में साफ किया था कि राणे के बंगले में जो अनधिकृत बदलाव किया गया है वह नियमों के विपरीत किया गया है। सुनवाई के दौरान मनपा की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता आस्पी चिनाय ने दावा किया कि राणे बंगले की खुली जगह को बंद करके उसे बंद ढांचे में बदल दिया है। उन्होंने कहा कि बंगले को लेकर साल 2013 में कब्जा प्रमाणपत्र (ओसी) जारी किया गया था। तब बगले का क्षेत्रफल 745 वर्गमीटर था। लेकिन अब यह क्षेत्रफल एफएलआई क्षमता से तीन गुना बढ गया है। जिससे बंगले का क्षेत्रफल 2209 वर्गमीटर तक पहुंच गया है। बंगले में निर्धारित एफएसआई से अधिक का इस्तेमाल हुआ है। 

वहीं राणे की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मिलिंद साठे ने कहा कि मेरे मुवक्किल ने नियमों के तहत ही एफएसआई का इस्तेमाल किया था। उन्होंने कहा कि मेरे मुवक्किल व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बीच राजनीतिक रंजिश के चलते मेरे मुवक्किल (राणे) के आवेदन को मनपा ने खारिज किया है। मनपा का यह निर्णय पूरी तरह से आधारहीन है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि चूंकि बंगले में किया गया निर्माण पूरी तरह से अनधिकृत है। इसलिए इस मामले में राजनीतिक प्रतिशोध का प्रश्न ही नहीं पैदा होता है। इस तरह खंडपीठ ने राणे की याचिका को खारिज कर दिया। 

 

Created On :   23 Jun 2022 9:59 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story