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आदिवासी की जमीन बिक गई जिसके नाम दर्ज वह भी अनजान
एसडीएम न्यायालय में पहुँचा प्रकरण, रजिस्ट्री शून्य, दस्तावेज में मूल भू-स्वामी का नाम दर्ज करने के आदेश
डिजिटल डेस्क जबलपुर । 22 साल पहले आदिवासी की जमीन बिकी और किसी और के नाम पर दर्ज हो गई। जिसके नाम रिकॉर्ड में दर्ज हुई वह भी अनजान था कि उसके नाम पर कोई जमीन है। जमीन का जब बँटवारा हुआ तब पता चला कि राजस्व रिकॉर्ड में किसी और का नाम दर्ज है। जमीन को लेकर प्रकरण जबलपुर एसडीएम न्यायालय में पहुँचा। प्रकरण की सुनवाई के दौरान एसडीएम नम: शिवाय अरजरिया ने दोनों पक्षों की बात सुनी और रजिस्ट्री शून्य करने के साथ ही मूल भूमि स्वामी का नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने के आदेश दिए।
एसडीएम के यहाँ आवेदनकर्ता ग्राम झिरी बरगी निवासी भागवती बाई, रामदास, दसई लाल, टीकाराम और रामबाई गोंड ने बँटवारा के लिए आवेदन लगाया था। जिसमें कहा गया था कि झिरी गाँव में उनकी 1.263 हेक्टेयर जमीन मुखिया होती लाल के नाम पर दर्ज थी, उनकी मृत्यु के बाद भूमि का बँटवारा होना था। जाँच में पता चला कि बजरंग नगर मेडिकल निवासी बल्लू गोंड विश्वकर्मा के नाम पर 0.52 हेक्टेयर जमीन दर्ज है। आवेदन में आरोप लगाया गया कि कूटरचित दस्तावेज तैयार कर वर्ष 1998 में रजिस्ट्री कराकर जमीन अपने नाम दर्ज कराई गई है। प्रकरण में बल्लू ने बताया कि उसके पिता ने यह जमीन खरीदी थी और वह खेती भी करते थे। उनकी मृत्यु 2001 में हो गई थी उसके बाद से वह जमीन देखने नहीं गया। वह तो वेल्डिंग का काम करता है और उसकी जाति विश्वकर्मा है। आदिवासी की जमीन खरीदने से पहले कलेेक्टर की अनुमति ली गई कि नहीं उसे यह नहीं पता, जमीन पर उसका कब्जा भी नहीं है। सुनवाई के बाद प्रकरण में एसडीएम ने मूल भूमि स्वामी के नाम दस्तावेज में दर्ज करने के आदेश दिये और पुलिस को पूरे प्रकरण की जाँच कर िरपोर्ट पेश करने की भी बात कही।
Created On :   22 March 2021 2:00 PM IST