अडानी के कब्जे की 200 एकड़ से अधिक भूमि पर प्रभावित किसानों ने की बोवनी

Affected farmers sow over 200 acres of land occupied by Adani
अडानी के कब्जे की 200 एकड़ से अधिक भूमि पर प्रभावित किसानों ने की बोवनी
अडानी के कब्जे की 200 एकड़ से अधिक भूमि पर प्रभावित किसानों ने की बोवनी

अडानी प्रबंधन की शिकायत पर तहसीलदार ने जारी किए नोटिस
डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा ।
चौसरा में अडानी थर्मल पावर प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित भूमि में से 200 एकड़ से ज्यादा में प्रभावित किसानों ने अपनी पूर्व चेतावनी के मुताबिक खरीफ फसलों की बोवनी कर दी है। अडानी प्रबंधन ने उनकी जमीन पर बोवनी करने वाले किसानों के विरुद्ध तहसील न्यायालय चौरई में अतिक्रमण की शिकायत की है। जिस पर तहसीलदार ने बोवनी करने वाले हिवरखेड़ी, डागावानी पिपरिया, चौसरा, धनौरा और टेका थांवड़ी के 50 से अधिक किसानों को नोटिस जारी किए हैं। प्रभावित किसानों का कहना है कि थर्मल पावर प्लांट चालू कर उन्हें एग्रीमेंट के अनुसार रोजगार दिया जाए। रोजगार नहीं दिए जाने पर उन्हें खाली पड़ी जमीन पर खेती करने दी जाए।
नोटिस का जवाब देने नहीं पहुंच रहे किसान
तहसील कार्यालय से हिवरखेड़ी, डागावानी पिपरिया, चौसरा, धनौरा और टेका थांवड़ी के जिन किसानों को नोटिस दिया गया है, वे इसका जवाब देने पेशी पर नहीं पहुंच रहे हैं। किसानों का कहना है कि वे प्रशासन और अडानी प्रबंधन को पहले ही अवगत करा चुके हैं। इधर तहसील कार्यालय से महज तीन दिनों में जवाब प्रस्तुत करने के नोटिस दिए जा रहे हैं।
सोयाबीन, मक्का, धान लगाई, फसलों का अंकुरण होने लगा
अडानी के कब्जे वाली जमीन पर किसानों ने एक माह पहले ही बखरनी कर दी थी। इसके बाद प्रशासन के हस्तक्षेप से अडानी प्रबंधन और प्रभावित किसानों के बीच दो बार बैठकों में चर्चा हुई। समझौता नहीं होने पर प्रभावित किसानों ने बोवनी कर दी। किसानों ने सोयाबीन, मक्का, तुअर, ज्वार और धान की फसल लगा दी है। बीजों का अंकुरण भी होने लगा है।
किसानों का कहना... जमीन दे दी, उनके पास रोजगार नहीं
प्रभावित किसान जमना पटेल, सज्जेलाल पटेल और नन्हेंलाल चंद्रवंशी समेत अन्य का कहना है कि 36 साल पहले उनसे जमीन ले ली गई। 11 साल पहले जमीन अडानी कंपनी को दे दी गई। एग्रीमेंट परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का किया, लेकिन नहीं दिया। अब रोजगार का संकट है, इसलिए खेती उनकी मजबूरी है।
जानिए... क्या है विवाद
वर्ष 1982 से 84 के बीच तत्कालीन सरकार ने चौसरा गांव में थर्मल पावर प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहण किया था। पांच गांवों के 172 किसानों से 285 एकड़ भूमि अधिग्रहित की गई थी। वर्ष 1984 में मप्र विद्युत मंडल ने यहां पॉवर प्लांट के तहत साइट ऑफिस, कॉलोनी, गेस्ट हाउस और हेलीपेड का निर्माण भी करा लिया था, लेकिन प्लांट का काम शुरू नहीं हुआ। वर्ष 2010 में मेसर्स अडानी पॉवर लिमिटेड को जमीन हस्तांतरित की गई। अडानी ने जमीन कब्जे में लेते हुए किसानों को एक-एक लाख रुपए और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का करार किया। अब किसान नौकरी दो या जमीन पर खेती करने देने की बात कर रहे हैं।

Created On :   26 Jun 2021 6:57 PM IST

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