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पीएफआई पर पाबंदी के बाद अब सरकार के निशाने पर रजा अकादमी!
डिजिटल डेस्क, मुंबई। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर पाबंदी के बाद विवादों में रहने वाले संगठन रजा अकादमी की भी मुश्किलें बढ़ सकतीं हैं। संगठन के खिलाफ जल्द कार्रवाई की अटकलों के बीच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पाबंदी को लेकर सीधा जवाब तो नहीं दिया लेकिन गुरूवार को उन्होंने पत्रकारों से कहा कि राज्य में जो देश के खिलाफ काम करेगा, देशद्रोहियों का समर्थन करेगा, पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाएगा उसे बख्शा नहीं जाएगा और ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इससे पहले भाजपा नेता नितेश राणे ने यह कहते हुए रजा अकादमी पर पाबंदी की मांग की है कि वह भी पीएफआई की ही तरह का काम करती है और एक आतंकी संगठन है। मनसे नेता यशवंत किल्लेदार ने कहा कि कहा कि आजाद मैदान दंगों के बाद से ही मनसे रजा अकादमी के खिलाफ पाबंदी की मांग कर रही है और हम इस पर अब भी कायम हैं। वहीं भाजपा समर्थक माने जाने वाले समित ठक्कर ने ट्वीट कर दावा किया है कि नवरात्रि के बाद रजा अकादमी पर पाबंदी का फैसला किया जाएगा। सवालों के घेरे में फंसी रजा अकादमी के अध्यक्ष सईद नूरी ने कहा कि लोग आरएसएस पर भी पाबंदी की मांग कर रहे हैं। लेकिन पाबंदी उस पर लगाई जाती है जो आतंकी गतिविधियों में शामिल है। रजा अकादमी सामाजिक संस्था है और कानून के दायरे में रहकर काम करती है। जब देश हित के मुद्दों पर हम सरकार के साथ खड़े होते हैं। हमने कश्मीरी पंडितों के लिए भी आवाज उठाई है। कुछ लोग इस तरह का बयान देकर अपनी राजनीति चमका रहे हैं। बता दें कि 1978 में गठित रजा अकादमी अगस्त 2012 में हुए आजाद मैदान हिंसा के मामले में सुर्खियों में आई थी। असम में हुए दंगे और म्यांमार में मुसलमानों पर अत्याचार के खिलाफ मुंबई में रजा अकादमी की अगुआई में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। इस दौरान 2 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 50 से ज्यादा जख्मी हुए थे। हिंसक भीड़ ने महिला पुलिसकर्मियों से भी बदसलूकी की थी। इसके अलावा संगीताकार एआर रहमान और ईरानी निर्देशक माजिद मजीदी के खिलाफ फतवा जारी करने के मामले में भी संगठन विवादों में रहा है।
Created On :   29 Sept 2022 10:14 PM IST