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ई-रजिस्ट्री के बाद पहले जैसी झंझट नहीं, ऑटोमोड में होगा नामांतरण

डिजिटल डेस्क जबलपुर। अमूमन प्रापर्टी खरीदते वक्त उसकी रजिस्ट्री तो आसानी से हो जाती है, लेकिन उसका नामांतरण कराने में लोगों का पसीना छूट जाता है। सबसे ज्यादा दिक्कत उन लोगों को उठानी पड़ती है, जिनके अविवादित प्रकरण वर्षों तक लालफीताशाही के कारण अटके रहते हैं। नागरिकों की समस्याओं पर ध्यान देते हुए अब शासन स्तर पर इस दिशा में पहल करते हुए आसान तरीका निकालने की कोशिश की है।
पता चला है कि ई-रजिस्ट्री और कमिश्नर लैण्ड रिकॉर्ड (सीएलआर) की वेबसाईटों को आपस में लिंक करने की तैयारी की जा रही है। शासन स्तर पर विचार चल रहा है कि, किस प्रकार यह व्यवस्था ज्यादा से ज्यादा सरल बनाई जा सके। जानकारों की माने तो लंबे समय से लंबित पड़े ऑनलाइन नामांतरण के मामले में तकनीकी रूप से परिवर्तन किए जा रहे हैं। जमीन के नामांतरण की कठिन प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है, जिसके तहत ई-रजिस्ट्री और सीएलआर को मर्ज किया जाएगा। अब तक रजिस्ट्री और रेवेन्यु का रिकार्ड मैच करने में काफी समय लगता है, जिससे लोगों को समस्या का सामना करना पड़ता था।
दरअसल, नामांतरण की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए यह सब किया जा रहा है। अब तक जमीन खरीदने, दान में मिलने या परिवार में बंटवारे के बाद सरकारी रिकॉर्ड में अपना नाम चढ़वाने के लिए आम आदमी को पटवारी और तहसील कार्यालय के दर्जनों चक्कर लगाने पड़ते थे। इससे छुटकारा दिलाने के लिए सीएलआर और ई-रजिस्ट्री के सॉफ्टवेयर को लिंक करने की तैयारी किया जा रहा है। ई-रजिस्ट्री कराते ही कुछ दिनों के भीतर नामांतरण भी ऑनलाइन हो जाएगा। इसके लिए अलग से आवेदन की जरूरत नहीं होगी। बताया जाता है कि जल्द ही पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा। पंजीयन और राजस्व विभाग तकनीकी तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे हैं।
प्रक्रिया होगी आसान-
दो साईटों को आपस में लिंक करने की यह प्रक्रिया सीएलआर के नए वर्जन से संभव हो सकेगी। जानकारों की माने तो वर्तमान में रेवेन्यु मामलों के लिए आरसीएमएस का 1.0 वर्जन चलाया जा रहा है। अब राजस्व विभाग ने इसे अपग्रेड कर अविवादित प्रकरणों की जानकारी सीएलआर पर उपलब्ध कराएगा। सीएलआर की एक लिंक ई-रजिस्ट्री के सॉफ्टवेयर पर दी जाएगी, जिसके जरिए रजिस्ट्री करने के पश्चात उप-पंजीयक संबंधित भूमि के खसरे की जानकारी ले सकेगा। यही नहीं प्राथमिक तौर पर रजिस्ट्री होते ही लैण्ड रिकॉर्ड में बदलाव भी कर दिया जाएगा। इसके अलावा जमीन की लोकेशन और उसमें चल रहे विवाद की जानकारी भी दर्ज होगी, ताकि कोई भी जमीन खरीदने से पहले आप इसका रिकार्ड ऑनलाइन देख सकें।
रोजाना आते हैं दर्जनों आवेदन-
शहर के सभी एसडीएम और तहसीलदारों के कार्यालयों में रोजाना नामांतरण के दर्जनों आवेदन आते हैं। कई मामलों में आपत्ति आने पर इनके केस एसडीएम सुनते हैं। सुनवाई की प्रक्रिया लंबी होने के चलते प्रक्रिया पूरी होने में 3 से चार महीने का समय लग जाता है। कई बार तो नामांतरण की फाइल गुमने की शिकायत भी तहसीलदारों के पास पहुंचती है। नई व्यवस्था लागू होने के बाद सभी तहसील न्यायालय भी ऑनलाइन किए जाएंगे। रजिस्ट्री होते ही केस सीधे तहसीलदार को ऑनलाइन ट्रांसफर होगा। चूंकि खरीदार और विक्रेता का वेरिफिकेशन रजिस्ट्री में ही पुख्ता हो जाएगा, इसलिए वेरिफिकेशन सिर्फ लैंड रिकॉर्ड का होगा। प्रकरण अविवादित होने पर तत्काल इसमें अपडेट कर दिया जाएगा।
Created On :   19 Dec 2017 1:44 PM IST