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शहर में पले-बढ़े एयर कोमोडोर संजीव घुराटिया ने संभाली देश के सबसे बड़े एयर डिपो की कमान

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। नया साल शहर के लिए बड़ी खुशखबरी लेकर आया है। एक ऐसा मौका, जो देश के सैन्य इतिहास में शहर के नाम को और भी यादगार बना रहा है। आपको बता दें कि शहर में जन्मे और पले-बढ़े एयर कोमोडोर संजीव घुराटिया ने 1 जनवरी को देश के सबसे बड़े एयर डिपो को बतौर एयर ऑफीसर कमांडिंग ज्वॉइन किया है। वायु सेना का यह थ्री बेस रिपेयर डिपो चंडीगढ़ में है, जहां विशेष तौर पर रशियन एयरक्रॉफ्ट्स के मेंटेनेंस और ओवरहॉलिंग का काम होता है। यह एमआई -8 और एमआई -17 हेलीकॉप्टर्स की मरम्मत, ओवरहॉल और रखरखाव करने के लिए देश का एकमात्र एयरफोर्स बेस है। मॉडल हाईस्कूल और फिर जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़े एयर कोमोडोर घुराटिया अपने 30 साल के कैरियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं और बेहतर काम करके दिखाया है।
ऐसी है जर्नी
एयर कोमोडोर घुराटिया 12 सितंबर, 1988 को वायु सेना की वैमानिकी इंजीनियरिंग इलेक्ट्रॉनिक्स शाखा में बतौर इंजीनियर कमीशंड हुए। तब से लेकर अब तक कई महत्वपूर्ण फील्ड्स और स्टाफ पदों पर कार्य चुके हैं, जिनमें उड़ान बेस के मुख्य कार्यकारी इंजीनियरिंग ऑफीसर, बेस मरम्मत डिपो में चीफ ऑफ एयरक्राफ्ट, कांगो में संयुक्त राष्ट्र मिशन के मुख्य इंजीनियरिंग ऑफीसर और एयरफोर्स टेस्ट पायलट स्कूल अनुदेशक जैसे पद शामिल हैं। बतौर फ्लाइट टेस्ट इंजीनियर कई महत्वपूर्ण हथियार तथा सेंसर एकीकरण परियोजनाओं में भी काम किया है। वह दिल्ली में वायु सेना मुख्यालय में निदेशक, एयर स्टाफ रिक्वायरमेंट के पद पर भी रहे।
बेटे की उपलब्धि से खुश मां ने कहा
डिफेंस में कैरियर बनाएं युवा एयर कोमोडोर घुराटिया का परिवार 1857 में जबलपुर आया था और लगभग 150 वर्ष तक सराफा में रहा। उनका वर्तमान निवास विजय नगर में है, जहां उनकी मां श्रीमती चंद्रकला घुराटिया रहती हैं। अपने बेटे की इस उपलब्धि से बेहद खुश नजर आ रहीं श्रीमती घुराटिया ने सिटी भास्कर से बातचीत में कहा कि मुझे अपने बेटे पर गर्व है। युवा इससे प्रेरणा ले सकते हैं और डिफेंस में कैरियर बना सकते हैं।
2 साल पहले मिला विशिष्ट सेवा मैडल
दो साल पहले वायु सेना दिवस पर उन्हें विशिष्ट सेवा मैडल मिला। हिंडन एयर बेस, गाजियाबाद में राष्ट्रपति द्वारा यह सम्मान दिया गया।
Created On :   2 Jan 2019 11:10 PM IST