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कोरोना से बचाव के लिए एकेएसयू ने तैयार की कोविड-19 एल्बो बैंड प्रोटोटाइप डिवाइस

डिजिटल डेस्क सतना। विश्वव्यापी कोरोना वायरस के संक्रमण की महामारी से बचाव के लिए यहां एकेएस यूनिवार्सिटी ने 90 डिग्री एल्बो मूवमेंट लॉकिंग कान्सेप्ट पर आधारित कोविड-19 एल्बो बैंड प्रोटोटाइप डिवाइस तैयार की है। यूनिवर्सिटी के चेयरमैन इं. अनंत सोनी के मुताबिक एडवाइजर राजेश कुमार मोदी की संकल्पना पर आधारित इस डिवाइस के अभी दुष्प्रभावों का अध्ययन नहीं हो पाया है। जब तक सरकार इसके उपयोग की सहमति नहीं देती तब तक इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। ये डिवाइस सिर्फ संबंधित सरकारी एजेंसियों की प्रायोगिक समीक्षा के लिए सामने लाई गई है। इस प्रस्तुति का इरादा उत्पादन और विक्रय(मार्केटिंग) भी नहीं है।
सावधानी ही सुरक्षा
विशेषज्ञ भी मानते हैं कि कोरोना कैरियर के छींकने-खांसने से निकली ड्रॉपलेट्स (बंूदें) सामने वाले के चेहरे पर पड़ती हैं। ऐसे में अगर संपर्क में आए स्वस्थ्य व्यक्ति के हाथ सैनिटाइज नहीं हैं,और वह अनजाने में चेहरे की संक्रमित सतह को छू कर हाथ को आंख-नाक या मुंह में लगाता है तो उसमें संक्रमण का सौ फीसदी खतरा बढ़ जाता है। अभी इस तथ्य के साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं कि वायरस हवा में फैलता है। यानि सावधानी ही सुरक्षा है।
विशेषताओं पर एक नजर
एकेएसयू के चेयरमैन इं. अनंत सोनी बताते हैं, यह एक ऐसी डिवाइस है जिसके इस्तेमाल से संक्रमित सतह को छूने के बाद भी कोरोना वायरस के संक्रमण से बचा जा सकता है। जब एक बार एल्बो की 90 डिग्री तक लॉकिंग हो जाती है तो हम अपने मुंह,नाक ,आंख और चेहरे को छू नहीं पाते हैं। एल्बो स्लीव तांबे के 90 डिग्री पर रूकने वाले कब्जे से बनाए गए हैं।
पूरे दिन संभव है उपयोग
भोजन,ब्रश और कंघी जैसे कुछ काम छोड़कर शेष काम एल्बो लॉकिंग बैंड पहन कर किए जा सकते हैं। इसे लंबे समय तक यानि पूरे दिन भी पहने रखा जा सकता है। बैंड पहनने के पहले और उतारने के बाद हाथ सैनिटाइज होने चाहिए। इसे महीनों तक बार-बार उपयोग में लाया जा सकता है। इसमें कोई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, चिप और बैट्री नहीं है। इसका उपयोग आसान है,रख रखाव की जरुरत नहीं है। इसे सैनिटाइज रखना और धोना भी आसान है। मास्क तथा संक्रमण को रोकने के अन्य उपायों के साथ ही एल्बो बैंड प्रोटोटाइप भी सेकंडरी इनफैक्शन (द्वितीयक संक्रमण) को रोकने में प्रभावी ढंग से मददगार है। यह बहुत ही आसान, अधिकतम प्रभावी और अत्यंत सस्ती डिवाइस है। एक अकेली डिवाइस का लागत मूल्य महज 28 रुपए हैं, अगर इसे बल्क में बनाया जाया तो एक इसकी कीमत 10 रुपए से ज्यादा नहीं है। इससे पहले देश -दुनिया में कहीं भी ऐसी डिवाइस तैयार नहीं की गई है।
Created On :   16 April 2020 6:56 PM IST