भाजपा के सामने शिवसेना के बाद छोटे दलों को मनाने की चुनौती, सभी दलों को चाहिए सीटें

All parties want seats from BJP, challenge to persuade small parties
भाजपा के सामने शिवसेना के बाद छोटे दलों को मनाने की चुनौती, सभी दलों को चाहिए सीटें
भाजपा के सामने शिवसेना के बाद छोटे दलों को मनाने की चुनौती, सभी दलों को चाहिए सीटें

डिजिटल डेस्क, मुंबई। लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन को लेकर शिवसेना से समझौते के बाद अब भाजपा के सामने अपने सहयोगी दलों को सीट बंटवारे के लिए जद्दोजहद करनी पड़ेगी। बड़े मित्र दल को मनाने के बाद अब भाजपा के सामने छोटे साथी दलों का साथ बनाए रखने की चुनौती है। भाजपा के पांचों सहयोगी दल लोकसभा चुनाव में भी सीटें चाहते हैं। जबकि महाराष्ट्र स्वाभिमानी पक्ष के मुखिया नारायण राणे ने अलग चुनाव लड़ने का फैसला ले लिया है। मंगलवार को शिवसंग्राम के अध्यक्ष विनायक मेटे ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा कि हमने भाजपा से दो सीटें मांगी हैं। इसमें विदर्भ और मराठवाड़ा की एक-एक सीटें हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गठबंधन की घोषणा के समय सहयोगी दलों के साथ बातचीत करने का आश्वासन दिया था। हमें अब बैठक के लिए मुख्यमंत्री के बुलावे का इंतजार है। लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ बने रहने के सवाल पर मेटे ने कहा कि हमारी अभी मुख्यमंत्री से चर्चा नहीं हुई है। इसलिए इस पर ज्यादा कुछ बोल पाना उचित नहीं है। 

कम से कम दो सीटें चाहती है आरपीआई

केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले की पार्टी आरपीआई भाजपा से कम से कम दो सीटें चाहती है। लोकसभा की दक्षिण-मध्य मुंबई की सीट पर आठवले खुद चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। आठवले अपने लिए भाजपा कोटे से यह सीट चाहते हैं लेकिन पेंच यह है कि दक्षिण-मध्य मुंबई शिवसेना की सिटिंग सीट है। आठवले चाहते हैं कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस शिवसेना पक्ष प्रमुख से इस सीट के लिए बात करें। आरपीआई के एक नेता ने कहा कि हमें भाजपा एक सीट निश्चित रूप से देगी लेकिन हम चाहते हैं कि आरपीआई के लिए शिवसेना भी एक सीट छोड़े। क्योंकि लोकसभा चुनाव के बाद शिवसेना ने नगर निकायों के चुनावों में आरपीआई के नाम पर दलित समाज के वोट हासिल किए हैं। हम रामटेक, सोलापुर और लातूर में से कोई एक सीट शिवसेना के कोटे से चाहते हैं। 

जानकर ने रखी छह सीटों की मांग

भाजपा की सहयोगी राष्ट्रीय समाज पक्ष के प्रमुख व प्रदेश के पशुपालन मंत्री महादेव जानकर ने भाजपा के सामने छह सीटों की मांग रख दी। लेकिन पार्टी उन्हें केवल एक बारामती लोकसभा सीट देना चाहती है। वहीं रयत क्रांति संगठन के प्रमुख व प्रदेश के कृषि राज्य मंत्री सदाभाऊ खोत अपने लिए हातकणंगले लोकसभा सीट चाहते हैं। खोत भाजपा के टिकट पर भी चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। लेकिन इसकी संभावना बहुत कम है कि भाजपा उन्हें मौका देगी। गठबंधन में हातकणंगले सीट शिवसेना के कोटे में जा सकती है। जबकि पश्चिम महाराष्ट्र के कोल्हापुर में प्रभाव रखने वाले विनय कोरे के दल जन सुराज्य पक्ष को भाजपा लोकसभा के बजाय विधानसभा में सीटें देगी। भाजपा पर लोकसभा सीटों के लिए सहयोगी दलों का दबाव भले हो लेकिन सूत्रों के अनुसार पार्टी केवल जानकर और आठवले के लिए एक-एक सीटें ही छोड़ेगी। भाजपा और शिवसेना के बीच हुए सीट बंटवारे में भाजपा को 25 सीटें मिली है। यदि भाजपा सहयोगी दलों के लिए 2 सीटें छोड़ती है पार्टी के पास 23 सीटें बच जाएंगी। लोकसभा में भाजपा के पास फिलहाल 22 सीटें हैं। 

गठबंधन के बाद भी नहीं बदले शिवसेना के सुर

भाजपा से गठबंधन के बाद शिवसेना के सुर बदलते नजर नहीं आ रहे हैं। मंगलवार को शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में केंद्र की मोदी सरकार पर जम्मू-कश्मीर के पुलवामा को लेकर हमला बोला है। पार्टी ने कहा कि चुनावी फायदे के लिए दंगों और आतंकवादी हमलों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। इससे पहले सोमवार को उद्धव ने कहा था कि हम साफ मन से भाजपा के साथ नई शुरुआत कर रहे हैं। 
 

Created On :   19 Feb 2019 9:17 PM IST

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