शौचालयों की राशि डकार रहे दलाल, पीड़ितों ने लगाई मदद की गुहार

Amount of toilets in Satna district was grabbed by the brokers
शौचालयों की राशि डकार रहे दलाल, पीड़ितों ने लगाई मदद की गुहार
शौचालयों की राशि डकार रहे दलाल, पीड़ितों ने लगाई मदद की गुहार

डिजिटल डेस्क,सतना। प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री और कलेक्टर तक देश को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इस योजना का भी हश्र वही हो रहा है जो यहां अन्य सरकारी योजनाओं का हो चुका है। शौचालय सिर्फ कागजों पर बन रहे हैं और इसकी लागत राशि बिचौलिए तथा सरकारी कर्मचारी मिलकर डकार रहे हैं।

गौरतलब है कि शासन शौचालय बनाने के लिए हितग्राहियों को 12-12 हजार रूपए दे रहा है, लेकिन यह राशि भी बिचौलिए बैंककर्मियों से सांठ-गांठ कर हड़प रहे हैं। इसमें सचिव और सरपंचों की भी भूमिका संदिग्ध है। शौचालय निर्माण की राशि हितग्राहियों के खाते में जाती तो है, लेकिन बिचौलिए उसे बैंक से राशि सीधे अपने खातों में ट्रांसफर करा लेते हैं। हितग्राही को न तो यह पता चलता है कि उसे शौचालय निर्माण के लिए शासन ने राशि प्रदान की है और न ही राशि के ट्रांसफर के बारे में किसी तरह की जानकारी दी जाती। 

दर्जनों मामले सामने आए
इस तरह से दर्जनों प्रकरण कौहारी पंचायत में सामने आए हैं। जिसकी शिकायत पीड़ितों ने जिला पंचायत सीईओ और जनपद पंचायत सीईओ से की है। जिला पंचायत सीईओ को कौहारी पंचायत के आधा दर्जन से अधिक लोगों ने ज्ञापन देकर बताया कि उनके घर में शौचालय बनवाने के लिए शासन की तरफ से दिए गए 12-12 हजार रूपए सरपंच के भांजे कल्लू प्रसाद यादव, तनय, जमुना प्रसाद यादव ने बैंक से ही अपने खाते में ट्रांसफर करा लिए। इस काम में इलाहाबाद बैंक शाखा कौहारी के कर्मियों की भी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है, क्योंकि बिना हितग्राहियों की सहमति और हस्ताक्षर के किसी दलाल के कहने पर राशि आखिर कैसे ट्रांसफर कर दी गई। 

काम नहीं हुआ, आंकड़े तैयार
हितग्राहियों का कहना है कि सरपंच के भांजे ने पंचायत के अंदर अलग-अलग योजनाओं में कई लोगों के साथ इसी तरह की धोखाधड़ी की है। जांच होने पर कई दर्जन मामले सामने आ सकते हैं। यहां योजनाओं के तहत स्वीकृत कार्य नहीं होते और न ही हितग्राहियों को लाभ मिलता। केवल फर्जी आंकड़े तैयार कर लिए जाते हैं और तो और हितग्राहियों को यह  तक पता नहीं चल पाता कि उनके नाम से राशि आई और बैंक से ही कहीं और चली गई। 


 

Created On :   19 Sept 2017 9:35 AM IST

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