आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी कंपनी के निदेशक को अग्रिम जमानत

Anticipatory bail to the director of the company accused of abetment to suicide
आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी कंपनी के निदेशक को अग्रिम जमानत
हाईकोर्ट आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी कंपनी के निदेशक को अग्रिम जमानत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कंपनी का बड़े लक्ष्य रखना कारोबार करने का स्वाभाविक तरीका है। यह आत्महत्या के लिए उकसाने के दायरे में नहीं आता है। यह बात कहते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक कंपनी के 71 वर्षीय निदेशक डॉक्टर सुरेंद्र मांजरेकर को अग्रिम जमानत प्रदान की है। पुलिस ने मांजरेकर के खिलाफ अपने एक कर्मचारी को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप में आपराधिक मामला दर्ज किया है। मामले में गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए मांजरेकर ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन दायर किया था। 

न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल के सामने आरोपी के जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई। इस दौरान आरोपी की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक मुन्दरगी ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान हुए नुकसान की भरपाई के लिए साल 2021 में स्थिति सामान्य होने पर मेरे मुवक्किल की कंपनी ने बड़ा लक्ष्य रखा थाऔर कर्मचारियों से कार्य में अतिरिक्त समर्पण की अपेक्षा रखी थी। मेरे मुवक्किल ने आत्महत्या करनेवाले अपने कर्मचारी पर कोई दबाव नहीं बनाया था। जबकि मृत कर्मचारी की पत्नी ने पुलिस में दर्ज कराई गई एफआईआर में आरोप लगाया था कि2001 से कंपनी में कार्यरत उसके पति अपने काम को लेकर काफी तनाव में थे। जब से आरोपी के बेटा व बेटी कंपनी से जुड़े थे। वे मेरे पति को काफी परेशान व अपमानित कर रहे थे। उन्हें बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा गया था। यही नहीं मेरे पति को छुट्टियों से वंचित किया गया और काम का अतिरिक्त बोझ बढ़ाया गया। उनके त्याग पत्र तक को नहीं स्वीकार किया जा रहा था। नौकरी छोड़ने की स्थिति में उन्हें उनकी ग्रैजुटी तक देने से मना कर दिया गया था। यहां तक के मेरे पति को यह कह कर धमकाया गया कि देखते है तुम्हें दूसरी नौकरी कैसे मिलती है। इससे परेशान होकर मेरे पति ने अपने कार्यालय की इमारत से कूद कर आत्महत्या कर ली। मेरे पति ने आरोपी से सहयोग की अपेक्षा की थी। लेकिन आरोपी ने मेरे पति की बात नहीं सुनी। 

मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने व तथ्यों पर गौर करने के बाद अदालत ने पाया कि आरोपी का मासिक वेतन एक लाख 35 हजार रुपए था। कंपनी ने लॉकडाउन के दौरान भी पूरे वेतन का भुगतान किया था। जहां तक कंपनी के बड़े लक्ष्य रखने की बात है तो यह कारोबार करने का स्वाभाविक तरीका है। यह आत्महत्या के लिए उकसाने के दायरे में नहीं आता। जहां तक बात आरोपी को नौकरी न मिलने की धमकी की बात है तो इस आरोप को मुकदमे की सुनवाई के दौरान परखा जा सकता है। इसकेलिए आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत नहीं है। इसके अलावा इस मामले के दो आरोपियों को जमानत मिल चुकी है। आरोपी की उम्र 71 साल है। इन तमाम पहलुओं के मद्देनजर आरोपी को 30 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत प्रदान की जाती है। न्यायमूर्ति ने आरोपी को जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया है। 


 

Created On :   12 Feb 2022 8:19 PM IST

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