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दस्तक अभियान में जोड़े मनमाने आँकड़े, डेंगू को लेकर लापरवाही, 50 को नोटिस
डिजिटल डेस्क जबलपुर। स्वास्थ्य सेवाओं और सुविधाओं को लेकर डंका पीटने वाला स्वास्थ्य अमला अपने काम के प्रति कितना गैर जिम्मेदार है, यह बात शनिवार को तब सामने आई जब जिम्मेदार अधिकारियों ने सरकारी योजनाओं से जुड़े वास्तविक आँकड़ों की बजाय मनमाने आँकड़े पेश कर दिए। जिम्मेदारों ने दस्तक अभियान के आँकड़ों में मनमानी की, वहीं कुुपोषित बच्चों की सही संख्या नहीं बात सके। स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित योजनाओं को किस तरह पलीता लगाया जा रहा है, यह बात भी सामने आ गई। दरअसल शनिवार को कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक ली, जिसमें कई महत्वपूर्ण योजनाओं में हुई प्रगति की समीक्षा की। बैठक के दौरान जब विभिन्न योजनाओं, सेवाओं और अन्य कार्यक्रमों पर चर्चा शुरू हुई तो एक-एक करके गड़बडिय़ाँ सामने आने लगीं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी प्रजेंटेशन में सही आँकड़े नहीं पेश कर सके। यह देख कलेक्टर ने अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई और असंतोष व्यक्त किया। लगभग 50 अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने एवं वेतन वृद्धि रोकने के निर्देश जारी कर दिए।
योजनाओं के क्रियान्वन में रुचि नहीं, वेतन निकालने पर रोक-
दस्तक अभियान के अंतर्गत पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों में बीमारी को दूर करने के लिए आवश्यक स्वास्थ्य एवं पोषण सेवाओं की समीक्षा के दौरान यह बात सामने आई कि अभियान में 19 अगस्त तक के लिए जो लक्ष्य रखा गया था, उसे दिखाने के लिए मनमाने आँकड़े पेश कर दिए गए। दस्तक अभियान एवं अन्य राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में रुचि नहीं दिखाने पर शहरी क्षेत्रों के सभी यूपीएचसी के प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों के वेतन का आहरण रोकने के निर्देश दिए गए।
यहाँ भी सामने आई लापरवाही-
बैठक में मातृ व शिशु मृत्यु, संस्थागत प्रसव, कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों की जानकारी, एनआरसी में भर्ती, टीकाकरण, जन्म-दर व लिंगानुपात, क्षयरोग उन्मूलन, डेंगू व मलेरिया के नियंत्रण के लिए किए गए कार्यों की समीक्षा में लापरवाही सामने आई। इस दौरान जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुश्री रिजु बाफना, अपर कलेक्टर शेर सिंह मीणा, सीएमएचओ डॉ. रत्नेश कुररिया, डॉ. एसएस दाहिया, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास
एमएल मेहरा सहित स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास के अधिकारी उपस्थित थे।
इन पर गिरी गाज
- जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. राकेश पहारिया को डेंगू की रिपोर्ट व डेंगू से मृत्यु की सही जानकारी नहीं होने तथा डेंगू की
रोकथाम समुचित रूप से नहीं करने पर शो-कॉज नोटिस।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत कार्यरत शहरी एपीएम संदीप नामदेव को नोटिस देने के साथ ही मेडिकल ऑफिसर की सैलरी न निकालने के निर्देश।
- कुपोषित बच्चों की गलत जानकारी देने पर पनागर के बीएमओ डॉ. संतोष ठाकुर व बीपीएम को नोटिस।
- सिहोरा के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ. राघवेन्द्र त्रिपाठी एवं ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर कुण्डम डॉ. सोनू शर्मा का बैठक में उपस्थित न होने पर वेतन रोकने के निर्देश दिए।
- पीसीपीएनडीटी के अंतर्गत सोनोग्राफी सेंटरों की जाँच के संबंध में तथा मीटिंग में अनुपस्थित होने पर अधीक्षक एल्गिन अस्पताल डॉ. आरके खरे को कारण बताओ नोटिस।
- शहपुरा बीपीएम राकेश त्रिपाठी द्वारा डाटा अपडेट नहीं करने तथा मॉनिटरिंग एण्ड एवेल्यूएशन अधिकारी श्रीराम पराखे को बैठक में अनुपस्थित रहने पर कारण बताओ नोटिस।
-एनआरसी में कुपोषित बच्चों को भर्ती किए जाने से संबंधित गलत तथ्य प्रस्तुत करने पर मेडिकल ऑफिसर डॉ. राधा वल्लभ चौधरी को कारण बताओ नोटिस।
निजी चिकित्सालयों और नर्सिंग होम की हो जाँच-
कलेक्टर ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि यदि निजी चिकित्सालयों व नर्सिंग होम्स द्वारा सरकार की योजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं कराया जा रहा तो उन पर भी कार्रवाई करें। उन्होंने कोरोना की तीसरी लहर को रोकने के लिए किल कोरोना अभियान चलाने के निर्देश दिए, साथ ही यह भी कहा कि फीवर क्लीनिक में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति का कोरोना टेस्ट के साथ-साथ मलेरिया व डेंगू की जाँच भी की जाए।
Created On :   21 Aug 2021 11:28 PM IST