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याचिकाकर्ताओं की सुप्रीम कोर्ट में दलील- सांडों को लड़ने वाले जानवरों में बदलना क्रूरता
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों संवैधानिक पीठ महाराष्ट्र में बैलगाडी दौड़, तमिलनाडु में जलिकट्टू और कर्नाटक में कंबाला के आयोजन को अनुमति देने वाले संबंधित राज्यों के कानूनों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया है कि बैलों (सांडों) को लड़ने के लिए तैयार नहीं किया गया है। उन्हें लड़ने वाले जानवरों में बदलना क्रूरता है।
दिसंबर 2017 में दो जजों की बेंच ने इस मामले को पांच जजों की संवैधानिक पीठ को भेजा था। यह मामला अब सुनवाई के लिए आया है, जिस पर बुधवार से सुनवाई जारी है। जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस सीटी रवि कुमार की पीठ के समक्ष मामले पर आज भी सुनवाई हुई। अदालत में आज तमिलनाडु और कर्नाटक के कानून की वैधता पर बहस हुई। तमिलनाडु के कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि मौलिक प्रश्न यह है कि इस खेल को किसी भी प्रारूप में अनुमति दी जा सकती है या नहीं, जिसे कई लोग पशुओं के साथ क्रूरता मानते है।
कई याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकीलों ने भी पीठ से कहा कि पशुओं के प्रति क्रूरता की किसी भी गतिविधि को मंजूरी नहीं दी जा सकती। सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार के पशुओं की क्रूरता को रोकने वाले कानून को चुनौती देने वालों की ओर से पेश वकील ने कहा कि इन दोनों राज्यों के कानून की महाराष्ट्र के कानून के बीच तुलना नहीं हो सकती। मामले में शुक्रवार को भी बहस जारी रहेगी।
Created On :   1 Dec 2022 8:47 PM IST