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थल सेना के स्टिंग मामले में पत्रकार और पूर्व सेना अधिकारी के खिलाफ दर्ज मामला रद्द

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने सेना के जवान को आत्महत्या के लिए उकसाने व प्रतिबंधित क्षेत्र मे स्टिंग ऑपरेशन मामले की आरोपी महिला पत्रकार और सेवानिवृत्त सेना अधिकारी को राहत प्रदान की है। हाईकोर्ट ने गुरुवार को मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद पत्रकार पूनम अग्रवाल व सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी दीपचंद सिंह के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द कर दिया है। स्टिंग ऑपरेशन के वायरल होने के बाद सेना में आला अधिकारी के सहायक के रुप में कार्यरत जवान रॉय मैथ्यु ने आत्महत्या कर ली थी।
इन दोनों के खिलाफ नाशिक स्थित देवलाली कैम्प पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं व ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। महिला पत्रकार अग्रवाल व सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी सिंह ने आपराधिक मामला रद्द करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। गुरुवार को न्यायमूर्ति आर वी मोरे व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ के सामने सुनवाई हुई। इस दौरान थल सेना की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता संदेश पाटिल ने कहा कि आरोपी पत्रकार जासूसी के इरादे से सेना के वर्जित क्षेत्र में आयी थी। यह राष्ट्रहित को प्रभावित करता। इसलिए सेना को इस मामले की छानबीन का मौका दिया जाए। जबकि याचिकाकर्ता के वकील उदय वरुंजकर ने कहा कि मेरे मुवक्किल ने थल सेना में सहायक के रूप में कार्यरत जवानों की खराब स्थिति को दर्शाया हैं। स्टिंग ऑपरेशन में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है।
मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि पत्रकार सेना के कैंप में किसी अपराध के इरादे से नहीं गई थी। हमे नहीं लगता की पत्रकार का कृत्य राष्ट्रहित को प्रभावित करता है। हमे यह समझ में नहीं आता है कि थल सेना ने इस मामले में बदले का रुख क्यों अपनाया है? खंडपीठ ने यह बात कहते हुए पत्रकार व सेना के पूर्व अधिकारी के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द कर दिया।
Created On :   18 April 2019 7:28 PM IST