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आषाढ़ अमावस्या दो दिन, कल व्रत-पूजा और 10 को स्नान-दान - शिव जी एवं पितरों के पूजन का मिलता है विशेष फल
डिजिटल डेस्क जबलपुर । आषाढ़ महीने की अमावस्या तिथि इस वर्ष दो दिन यानी 9 और 10 को रहेगी। अमावस्या को धर्म ग्रंथों में पर्व कहा गया है। इस दिन पितरों की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में आ जाते हैं। इन दोनों ग्रहों के बीच का अंतर 0 डिग्री हो जाता है। पं. रोहित दुबे ने बताया कि हर महीने की अमावस्या पर कोई न कोई व्रत या पर्व मनाया जाता है। इस दिन पितरों की पूजा करने से सुख और समृद्धि बढ़ती है। अमावस्या पर प्रदोष काल में शिव पूजा करनी चाहिए। दिन के खत्म होने और रात की शुरुआत के पहले के समय को प्रदोष काल कहा जाता है। इस शुभ समय में भगवान शिव का अभिषेक और महामृत्युंजय मंत्र के साथ विशेष पूजा करनी चाहिए। इससे शारीरिक परेशानियाँ दूर होने लगती हैं। साथ ही शनि और पितृ दोष का असर भी कम होने लगता है। शुक्रवार को करें व्रत पूजा - पं. वासुदेव शास्त्री के अनुसार 9 जुलाई शुक्रवार को अमावस्या तिथि सूर्योदय से पहले ही शुरू हो जाएगी और पूरी रात रहेगी। इसलिए इस दिन व्रत और पीपल पूजा के साथ ही पितरों के लिए श्राद्ध किया जाएगा। साथ ही इस दिन अमावस्या तिथि में होने वाली हर तरह की पूजा की जा सकेगी।
10 को शनिवारी अमावस्या - पं. राजकुमार शर्मा के अनुसार 10 जुलाई शनिवार को भी अमावस्या तिथि सूर्योदय के बाद कुछ समय तक रहेगी। इसलिए इस दिन स्नान-दान करना चाहिए। शनिवार को होने से ये शनैश्चरी या शनि अमावस्या होगी। इस दिन तीर्थ या पवित्र नदी के जल से नहाने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। साथ ही इस दिन किए गए दान का कई गुना पुण्य मिलता है।
Created On :   8 July 2021 3:22 PM IST