छात्राओं के बाल पकड़कर पुलिस ने क्यों दिखाई अमानवीयता?- हाईकोर्ट

assaulted with girl students during protest against mp govt in bhopal
छात्राओं के बाल पकड़कर पुलिस ने क्यों दिखाई अमानवीयता?- हाईकोर्ट
छात्राओं के बाल पकड़कर पुलिस ने क्यों दिखाई अमानवीयता?- हाईकोर्ट


डिजिटल डेस्क जबलपुर। भोपाल में सीएम बंगले के सामने प्रदर्शन करने वाली छात्राओं को पुरुष पुलिस कर्मियों द्वारा बाल पकड़कर खींचकर आरोपित तौर पर की गई अमानवीयता को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। शुक्रवार को एक जनहित याचिका में लगे आरोपों को संजीदगी से लेते हुए चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने सरकार को अपना रिस्पांस देने कहा है। मामले की अगली सुनवाई 4 सप्ताह बात होगी।
यह याचिका इन्दौर के डॉ. आनंद राय की ओर से दायर की गई है।

                                                 आवेदक का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने आरकेडीएफ मेडिकल कॉलेज के छात्रों को दूसरे कॉलेज में शिफ्ट करने के आदेश दिए थे। इस आदेश के बाद भी कॉलेज के छात्रों को शिफ्ट नहीं किया गया। इस पर कॉलेज की पीडि़त छात्राओं ने 19 जनवरी 2018 की दोपहर मुख्यमंत्री आवास के सामने प्रदर्शन किया। उन छात्राओं को हटाने की कोशिश पुलिस ने की। इस दौरान कुछ पुरुष पुलिस कर्मियों द्वारा छात्राओं के बाल घसीटकर उन्हें हटाने का प्रयास भी किया गया। पुलिस कर्मियों की इस कार्रवाई भास्कर समूह के डीबी पोस्ट के 20 जनवरी के अंक में सचित्र प्रकाशित की गई थी। उसी को आधार बनाकर यह याचिका दायर की गई।

                                              याचिका में आरोप है कि कानून को ताक पर रखकर भोपाल पुलिस अमानवीयता पर उतर आई। उक्त छात्राएं अपनी मांगों को लेकर शांति पूर्ण प्रदर्शन कर रहीं थीं। उनके पास तो कोई हथियार भी नहीं थे। इसके बाद भी पुलिस द्वारा उनके साथ जबरदस्ती की गई। जबकि दंप्रसं में स्पष्ट प्रावधान है कि किसी भी महिला के खिलाफ कार्रवाई सिर्फ और सिर्फ महिला पुलिस कर्मी ही कर सकेंगी। इसके बाद भी पुरुष पुलिस कर्मियों द्वारा बाल खींचकर युवा छात्राओं को घसीटना गैरकानूनी और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। इन आधारों के साथ दायर याचिका में जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की राहत चाही गई है। साथ ही यह राहत भी चाही गई कि ऐसी घटना की पुनरावृत्ति मध्य प्रदेश में दोबारा न हो, इस बारे में सरकार को उचित निर्देश दिए जाएं। मामले पर शुक्रवार को हुई प्रारंभिक सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पक्ष रखा। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने सरकार को इस मामले पर अपना रिस्पांस पेश करने के निर्देश दिए।

 

Created On :   3 Feb 2018 1:24 PM IST

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