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एक नेता के इशारे पर शुक्ला ने कराए थे अन्य नेताओं के फोन टेप
डिजिटल डेस्क, मुंबई। आईपीएस अधिकारी और राज्य खुफिया विभाग (एसआईडी) की पूर्व प्रमुख रश्मी शुक्ला ने एक नेता के इशारे पर या एक राजनीतिक पार्टी को फायदा पहुंचाने के लिए राजनेताओं के फोन टैप किए गए थे। शुक्ला के खिलाफ दायर आरोपपत्र में कोलाबा पुलिस ने यह बात कही है। मंगलवार को कोर्ट में दायर 750 पन्नों के आरोपपत्र में यह भी खुलासा हुआ है कि शुक्ला के मातहतों ने उन्हें नेताओं के फोन टैप न करने की चेतावनी दी थी लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज कर मातहतों को खुद के निर्देशों का पालन करने को कहा था।
आरोप है कि रश्मि शुक्ला ने असामाजिक तत्व बताकर शिवसेना नेता संजय राऊत और राकांपा नेता एकनाथ खडसे का फोन टैप किया था। खडसे का नाम खडसाने और राऊत का नाम एस रहाटे बताकर गृह विभाग से विशेष कारण का हवाला देते हुए फोन टैपिंग की मंजूरी ली गई थी। आरोपपत्र के मुताबिक खडसे के दो फोन नंबर जबकि राऊत का एक फोन नंबर टैप किया गया था। फर्जी नाम का इस्तेमाल करने के चलते शुक्ला के खिलाफ जालसाजी की भी धाराएं जोड़ी गईं हैं। आरोपपत्र के मुताबित राऊत का मोबाइल नंबर पहली बार 1 नवंबर से 14 नवंबर 2019 के बीच टैप किया गया जबकि दूसरी बार 18 से 24 नवंबर 2019 के बीच टैप किया गया। वहीं उस समय भाजपा में रहे खडसे के दो मोबाइल नंबर 21 जून से 17 अगस्त 2019 के बीच टैप किए गए।
मातहतों की सलाह को किया नजरअंदाज
फोन टैपिंग के दौरान एसआईडी में तैनात रहे एसीपी के बी इरानी का बयान भी आरोपपत्र का हिस्सा है। इरानी ने कोलाबा पुलिस को बताया कि उन्होंने दो बार शुक्ला को नेताओं के फोन अवैध रुप से टैप करने को लेकर चेतावनी दी थी लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज किया और कहा कि वे खुफिया विभाग की कमिश्नर हैं इसलिए वे जैसा कहतीं हैं वैसा किया जाए। खुफिया विभाग में उस समय तैनात दूसरे पुलिसवालों ने भी अपने बयान में इरानी के बयान की पुष्टि की है। वहीं अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) संजय कुमार ने भी अपने बयान में कहा है कि उनके साथ रिव्यू कमेटी के अध्यक्ष और सदस्यों ने भी हिदायत दी थी कि बिना ठोस वजह के जनप्रतिनिधियों के फोन टैप न किए जाएं।
Created On :   29 April 2022 8:59 PM IST