कट्टरपंथ की ओर झुके युवकों को रोजगार दिलाने में एटीएस कर रही है मदद

ATS is helping to give jobs to youth who inclined towards radicalism
कट्टरपंथ की ओर झुके युवकों को रोजगार दिलाने में एटीएस कर रही है मदद
कट्टरपंथ की ओर झुके युवकों को रोजगार दिलाने में एटीएस कर रही है मदद

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य का आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) आतंकी वारदातों की छानबीन के साथ-साथ कट्टरपंथ की ओर बढ़ रहे युवकों को फिर से मुख्यधारा में लाने के काम में भी जुटा हुआ है। युवक फिर से गलत रास्ता न पकड़ लें इसलिए उन्हें रोजगार से जोड़ा जा रहा है। युवकों को न सिर्फ रोजगार से जुड़ा प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है बल्कि बैंकों से कर्ज (लोन) लेने में भी उनकी मदद की जा रही है। एटीएस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कट्टरपंथ से मुख्य धारा में लाए गए 41 लोगों को विभिन्न बैंकों से कर्ज दिलाकर उन्हें खुद का रोजगार शुरू करने में मदद की गई। युवकों को प्रशिक्षण दिलाने के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं का सहारा लिया जाता है। इसके अलावा जिन लोगों की स्वरोजगार में रुचि नहीं है उन्हें नौकरी दिलाने में भी मदद की जाती है।

वापस लौटना मुश्किल पर नामुमकिन नहीं 

एटीएस उन्हीं लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करती है, जो आतंकवाद की राह पर इतने आगे बढ़ जाते हैं जहां से वापस लौटना मुश्किल होता है। दरअसल एटीएस लंबे समय से सोशल मीडिया के जरिए ऐसे युवकों पर नजर रख रही है जो धार्मिक कट्टरपंथ का रास्ता पकड़ते हैं और धीरे-धीरे आतंकवाद तक पहुंच जाते हैं। इन युवकों को दो वर्गों में बाटां गया है। ऐसे युवकों की संख्या काफी है जिनका रुझान कट्टरपंथ की ओर होता है लेकिन इनमें से कुछ ही ऐसे होते हैं जो विदेश में बैठे हैंडलरों के बहकावे में आकर आतंकी वारदातों को अंजाम देने को तैयार होते हैं। मराठवाडा, बीड, जालना, औरंगाबाद ठाणे, भिवंडी समेत राज्य के विभिन्न इलाकों के 350 से ज्यादा युवकों को मुख्यधारा में शामिल किया जा चुका है। इनमें से 114 पुरूष और 6 महिलाएं  ऐसी थीं जो आतंकवाद की राह पर काफी आगे बढ़ चुके थे लेकिन एटीएस उन्हें फिर से मुख्यधारा में वापस लाने में सफल रही। 

16 से 45 साल की आयु वर्ग के ज्यादातर लोग

एटीएस ने पाया कि जिन लोगों को आतंकियों के स्लीपर सेल बहकाने में कामयाब रहे उनमें से ज्यादातर 16 से 45 साल की आयुवर्ग के थे। 11 ऐसे युवक थे जिनकी आयु 20 साल से कम थी। इसके अलावा 21 से 30 आयुवर्ग के 57 और 30 साल से ज्यादा उम्र के 52 लोगों को मुख्यधारा में शामिल किया गया है। इनमें से 11 छात्र, 28 पेशेवर, 105 स्वरोजगार करने वाले और 4 बेरोजगार थे। जिन लोगों को आतंकियों के स्लीपर सेल बहकाने में कामयाब रहे थे उनमें से ज्यादातर काफी पढ़े लिखे थे। 

Created On :   17 March 2019 6:43 PM IST

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