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श्रेय की लड़ाई शुरू, राज ठाकरे ने सरकार के फैसले पर ठोंका दावा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश में छोटी दुकानों समेत सभी प्रतिष्ठानों में मराठी भाषा में साइन बोर्ड लगाना अनिवार्य करने के राज्य मंत्रिमंडल के फैसले पर आगामी मुंबई मनपा चुनाव को देखते हुए श्रेयवाद की लड़ाई शुरू हो गई है। गुरुवार को मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने दावा किया कि सरकार के राज्य में सभी दुकानों का साइन बोर्ड मराठी में लगाने के फैसले का श्रेय केवल मनसे के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों का है। इसलिए बाकी कोई इसका श्रेय लेने की कोशिश न करे। उन्होंने कहा कि साल 2008 और 2009 में दुकानों का साइन बोर्ड मराठी में करने की मांग को लेकर मनसे के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने आंदोलन किया था। अब राज्य सरकार ने यह फैसला लिया है। मैं इसके लिए सरकार का अभिनंदन करता हूं। अब सरकार को ठीक तरीके से इस फैसले को लागू करना चाहिए।
राज ने कहा कि सरकार ने अपने फैसले में मराठी के साथ-साथ अन्य भाषा में दुकानों का नाम लिखने की अनुमति दी है। लेकिन इसकी जरूरत क्या है? राज ने कहा कि देवनागरी लिपी सभी को समझ में आती है। इसलिए महाराष्ट्र में केवल मराठी भाषा ही चलेगी। मनसे को यह बात बार-बार याद दिलाने की नौबत न आने दे। इसके पहले बुधवार को राज्य मंत्रिमंडल ने राज्य की सभी दुकानों में मराठी में साइन बोर्ड लगाना अनिवार्य करने का फैसले को मंजूरी दी थी। इससे 10 से कम श्रमिक वाले दुकानों में भी मराठी साइन बोर्ड लगाना बंधनकारक हो गया है। राज्य में इस साल मुंबई समेत कई महानगर पालिकाओं के चुनाव होने हैं। इसलिए समझा जा रहा है कि सत्ताधारी शिवसेना ने मराठी के मुद्दे को भुनाने के लिए दुकानों का नाम मराठी भाषा में लिखना अनिवार्य करने का फैसला लिया है। लेकिन अब राज ने इस फैसले को श्रेय अपने कार्यकर्ताओं को दे दिया है।
Created On :   13 Jan 2022 9:01 PM IST