हाईकोर्ट : रिफाइनरी के निकट रहने से स्वास्थ्य पर मंडरा सकता है खतरा, मामला रद्द कराने पहुंचे विधायक भारत

Being close to living refinery can threat to health and safety - High Court
हाईकोर्ट : रिफाइनरी के निकट रहने से स्वास्थ्य पर मंडरा सकता है खतरा, मामला रद्द कराने पहुंचे विधायक भारत
हाईकोर्ट : रिफाइनरी के निकट रहने से स्वास्थ्य पर मंडरा सकता है खतरा, मामला रद्द कराने पहुंचे विधायक भारत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है राज्य सरकार मुंबई के तानसा पाइप लाइन के विस्थापितों को या तो दूसरी जगह आवास उपलब्ध कराए या फिर उन्हें प्रति माह 15 हजार रुपए किराए के रुप में भुगतान करे। ताकि वे अपने लिए कही और रहने की व्यवस्था कर सके। सरकार विस्थापितों को प्रदूषणयुक्त माहुल इलाके में रहने के लिए विवश न करे। इससे न सिर्फ उनके स्वास्थ्य को लेकर खतरा पैदा होगा बल्कि पेट्रोलियम रिफाइनरी की सुरक्षा के लिए भी खतरा हो सकता है। मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदराजोग व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ ने यह निर्देश माहुल निवासियों की ओर से दायर किए गए आवेदन पर सुनवाई के बाद दिया है। तानसा पाइप लाइन के किनारे महानगर के विभिन्न इलाकों में बनाए गए झोपड़ों के ढहाने के चलते 15 हजार परिवार प्रभावित हुए है। सरकार ने इन लोगों का माहुल इलाके में पुनर्वास करते हुए उन्हें घर प्रदान किया है। लेकिन विस्थापितों का दावा है कि माहुल इलाके के करीब पेट्रोलियम रिफाइनरी है। जिसके चलते वहां की हवा में भयंकर प्रदूषण है। इस वजह यहां रहना उनके लिए संभव नहीं है। इस तरह से विस्थापितों ने माहुल इलाके में रहने से इंकार किया है।राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्युनल ने भी अपनी रिपोर्ट में माहुल में प्रदूषण होने की बात कही है। ममले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि प्रदूषणयुक्त माहुल इलाके में रहने से लोगों को न सिर्फ स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा बल्कि आतंकी हमला होने की स्थिति में रिफाइनरी को निशाना बनाया जा सकता है। इस स्थिति में रिफाइनरी की सुरक्षा के लिए भा खतरा हो सकता है। इससे पहले हाईकोर्ट की एक अन्य खंडपीठ ने भी माहुल निवासियो के पक्ष में फैसला सुनाया था और उन्हें प्रतिमाह किराया देने का निर्देश दिया था। इस फैसले के मद्दे नजर मुख्य न्यायाधीश ने सरकार को विस्थापितों को किराए के रुप में 15 हजार रुपए देने का निर्देश दिया है। 

 

आपराधिक मामला रद्द कराने आरोपी विधायक भारत भालके पहुंचे हाईकोर्ट

वहीं महाराष्ट्र के पढंरपुर इलाके से कांग्रेस पार्टी के विधायक भारत भालके ने खुद के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द किए जाने की मांग को लेकर बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। पंढरपुलिस सिटी पुलिस स्टेशन ने भालके खिलाफ  बदसलूकी व सरकारी अधिकारी के काम में अवरोध पैदा करने के आरोप में 15 मार्च 2019 को आपराधिक मामला दर्ज किया गया था। यह मामला पुलिस अधिकारी की शिकायत के बाद दर्ज किया गया था। जिसे रद्द करने व पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश देने की मांग को लेकर भालके ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। भालके खिलाफ भारती दंड संहिता की धारा 353,186,189,294,143,147,109,119 सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। याचिका में भालके ने दावा किया है कि निर्वाचित प्रतिनिधि होने के नाते मैं  पंढरपुर स्थित विठ्ठल-रुकमणि मंदिर के सामने से हटाए गए हाकर्स व दुकानदारों की बातो को सुनने गया थे। इस दौरान वहां पर पुलिस अधिकारी विश्वास सलोखे बिना वर्दी के वहां पर मौजूद थे। याचिका के मुताबिक उस समय पर पुलिस अधिकारी सलोखे ने टोपी भी नहीं पहनी थी। उनकी कमीज की बटन भी खुली हुई थी। याचिका में सलोखे ने खुद पर लगे आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि मंदिर के बाहर से फूल व दूसरी चीजे बेचनेवाले लोगों को जबरन हटाया गया था। जब हाकर्स को वहां से हटाया गया उनके साथ स्थानीय निकाय के लोग मौजूद नहीं थे।  याचिका में कहा है कि जब विक्रेताओं को हटाया गया था तब मैं मंदिर परिसर में नहीं था। मैंने पुलिसकर्मी के साथ कोई अशिष्ट बरताव नहीं किया है। उन्होंने याचिका में पुलिसकर्मी पर एक बुजुर्ग 80 वर्षीय महिला को बेरहमी से पीटने का आरोप भी लगाया है। सोमवार को भालके की याचिका न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति एनजे जमादार की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए अायी। इस दौरान भालके की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक मुंदरगी ने कहा कि जब मेरे मुवक्किल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया उस समय लोकसभा चुनाव के चलते आचार संहिता लगी हुई थी। चुनाव आयोग के निर्देश के बाद  मेरे मुवक्किल से जुड़ी पूरी घटना की वीडियग्राफी की गई है लेकिन पुलिस अधिकारी इस वीडियोग्राफी को पेश नहीं कर रहे है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक उद्देश्य से मेरे मुवक्किल के खिलाफ यह मामला दर्ज किया गया है क्योंकि वे विपक्षी पार्टी के विधायक है। वहीं सहायक सरकारी वकील ने कहा कि अभी मामले की जांच प्रगति पर है। इसलिए उन्हें थोड़ा वक्त दिया जाए। इसके बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी। और सरकारी वकील को उचित निर्देश लेने को कहा। 
 

 

Created On :   23 Sep 2019 12:33 PM GMT

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