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राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है भीमा-कोरेगांव हिंसा मामला, NIA का हाईकोर्ट में दावा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि भीमा-कोरेगाव एल्गार परिषद मामले का राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़नेवाले असर को देखते हुए केंद्र सरकार ने खुद इस मामले की जांच पुणे पुलिस से एनआईए को सौपने का निर्णय किया है। हलफनामे में एनआईए ने कहा है कि वह देश अवैध व आतंकी गतिविधियों पर शिकंजा कसने के लिए काम कर रही है। एनआईए की तरफ से कहा गया है कि नक्सल गतिविधियों ने कई स्तर पर हमे नुकसान पहुंचाया है। केंद्र सरकार के पास इस तरह के मामले की जांच राष्ट्रीय एजेंसी को सौपने को लेकर राज्य की तुलना में ज्यादा अधिकार हैं। इसलिए केंद्र ने इस मामले से जुड़े अपराध की गंभीरता व अंतरराज्यीय लिंक को देखते हुए खुद राष्ट्रीय सुरक्षा के निहितार्थ इस मामले की जांच एनआईए को सौपी है।
एनआईए ने यह हलफनामा मामले में आरोपी सुरेंद्र गडलिंगव सुरेंद्र धवले की ओर से दायर याचिका के जवाब में दायर किया है। दोनों ने याचिका में केंद्र सरकार द्वारा जनवरी 2020 में इस मामले की जांच पुणे पुलिस से एनआईए को सौपने के निर्णय को चुनौती दी है। याचिका में दावा किया गया है कि महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी के सत्ता गवाने के बाद केंद्र सरकार ने भीमा-कोरेगांव के एल्गार परिषद मामले की जांच एनआईए को सौपी है।
न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति एन जे जमादार की खंडपीठ के सामने याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता सतीश तलेकर ने कहा कि मामले की जांच एफआईआर दर्ज होने के दो साल बाद एनआईए को सौपी गई है। यह नियमों के विपरीत है। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर अब तक केंद्र सरकार व राज्य सरकार ने हलफनामा नहीं दायर किया है। इस दौरान एनआईए के वकील ने निर्देश लेने के लिए समय की मांग की। इसके बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 19 जुलाई 2021 तक के लिए स्थगित कर दी।
Created On :   13 July 2021 7:28 PM IST