सरकारी कार्यालयों में मराठी में होगा कामकाज, रावते बोले - सदन में सिर्फ मराठी में भाषण दें विधायक

Bill passed in both houses - Government offices will be functioning in Marathi
सरकारी कार्यालयों में मराठी में होगा कामकाज, रावते बोले - सदन में सिर्फ मराठी में भाषण दें विधायक
 दोनों सदनों में विधेयक पारित सरकारी कार्यालयों में मराठी में होगा कामकाज, रावते बोले - सदन में सिर्फ मराठी में भाषण दें विधायक

डिजिटल डेस्क, मुंबई। स्थानीय निकायों के साथ अब राज्य सरकार के प्रतिष्ठानों में भी अनिवार्य रुप से मराठी भाषा का इस्तेमाल करना होगा। गुरूवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में इससे जुड़े संशोधन विधेयक को एकमत से मंजूरी दे दी गई। मराठी भाषा मंत्री सुभाष देसाई ने विधानसभा में महाराष्ट्र स्थानीय प्राधिकरण (राजभाषा) विधेयक, 2022 विधानसभा में पेश करते हुए कहा कि साल 1964 के कानून में स्थानीय प्राधिकरण शब्द का उल्लेख नहीं किया गया था। इसके चलते एमएमआरडीए जैसे संस्थानों में मराठी का इस्तेमाल नहीं हो रहा था। महानगर पालिकाओं, नगरपरिषदों से भी ऐसी ही शिकायतें आ रहीं थीं। मनपा आयुक्त हिंदी और अंग्रेजी में ट्वीट कर जानकारियां दे रहे थे। देसाई ने कहा कि मुंबई महानगर पालिका ने फेसबुक पर हिंदी में जानकारियां साझा की। उन्होंने कहा कि मेट्रों की परीक्षाएं भी हिंदी और अंग्रेजी में ली गई। बड़ी संख्या में लोग मराठी भाषा विभाग में इसकी शिकायत कर रहे थे जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था। देसाई ने कहा कि महाराष्ट्र में मराठी ही अग्रणी भाषा होनी चाहिए। 

भाजपा ने कहा, यह चुनावी विधेयक 

भाजपा के आशीष शेलार और योगेश सागर ने विधेयक का समर्थन किया लेकिन कहा कि सरकार स्थानीय निकाय चुनावों में फायदा हासिल करने के लिए इसे लाई है। इससे पहले राज्य सरकार ने सभी दुकानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर भी मराठी भाषा में बोर्ड लगाने को अनिवार्य कर दिया गया है। मराठी को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने के बाद वर्ष 1964 के महाराष्ट्र राजभाषा अधिनियम के अनुसार 1 मई1966 से राज्य में सभी सरकारी कार्यालयों में मराठी भाषा को अनिवार्य किया गया है। इसके तहत विधानमंडल कामकाज और सरकारी कार्यालयों का कामकाज मराठी में होता है। लेकिन निकाय संस्थाओं और योजना प्राधिकरण के सरकारी कार्यालयों में मराठी भाषा की सख्ती नहीं की जा सकती थी। वर्तमान में राज्य में निकाय संस्थाओं में मराठी का उपयोग सुविधानुसार किया जाता है और अंग्रेजी का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण, राज्य सड़क विकास निगम, औद्योगिक विकास निगम, सिडको, म्हाडा के कामकाज में अंग्रेजी का इस्तेमाल ज्यादा होता है। जिससे लोगों को परेशानी होती है। अब मनपा, निकाय संस्थाओं, योजना प्राधिकरण, महामंडलों के कामकाज मराठी भाषा में करना अनिवार्य कर दिया जाएगा। राजभाषा अधिनियम में संशोधन होने के बाद सरकारी कार्यालयों की तरह ही राज्य के सभी अर्ध सरकारी और निकायों को इस अधिनियम के दायरे में लाया जा सकेगा।  


सदन में सिर्फ मराठी में भाषण दें विधायकः रावते

वहीं विधान परिषद में शिवसेना सदस्य दिवाकर रावते ने कहा कि सदन में सदस्यों को मराठी भाषा में ही भाषण देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सदन में कई सदस्य हिंदी में ही पूरा भाषण कर देते हैं। सदन में विदर्भ और विशेष रूप से नागपुर के सदस्य हिंदी के अलावा किसी अन्य भाषा में बातचीत नहीं करते हैं। गुरुवार को सदन में स्थानीय निकायों में मराठी भाषा का अनिवार्य रूप से इस्तेमाल करने संबंधी महाराष्ट्र स्थानीय प्राधिकरण विधेयक पारित किया गया। इस विधेयक पर चर्चा के दौरान रावते ने कहा कि महाराष्ट्र की राजभाषा मराठी है। विधान परिषद महाराष्ट्र का सर्वोच्च सदन है। इसलिए यदि किसी को इस सदन में सदस्य बनकर कदम रखना है कि उसे मराठी भाषा अनिवार्य रूप से आनी ही चाहिए। रावते ने कहा कि स्थानीय निकायों में निर्वाचित सदस्यों को सदन में मराठी भाषा में भाषण देना चाहिए। रावते ने कहा कि सदन में नवनिर्वाचित सदस्य मराठी को छोड़कर हिंदी और अंग्रेजी भाषा में शपथ लेते हैं। लेकिन सभापति द्वारा उन्हें रोका नहीं जाता है। जबकि सभापति को नए सदस्यों को मराठी भाषा में ही शपथ लेने के लिए कहना चाहिए। इस दौरान रावते को टोकते हुए कांग्रेस सदस्य अभिजीत वंजारी ने कहा कि नागपुर में अधिवेशन नहीं हुआ है। इस पर रावते ने कहा कि कोरोना संकट के कारण नागपुर में अधिवेशन नहीं हो पाया है। ठाकरे सरकार का पहला अधिवेशन नागपुर में ही हुआ था। 
 

Created On :   24 March 2022 8:15 PM IST

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