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दूसरे दलों से आए नेताओं को विधान परिषद भेजने की दरियादिली दिखाती रही है भाजपा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। विधान परिषद की स्थानीय प्राधिकारी कोटे की छह सीटों पर हुए चुनाव में चार सीटें पर कब्जा जमाने के बाद विधान परिषद में भाजपा सदस्यों की संख्या बढ़ गई है। दूसरे दलों से भाजपा में आने वालों को विधान परिषद भेजने के मामले में भी भाजपा ने दरिया दिली दिखाई है। विधान परिषद में भाजपा के सदस्यों की संख्या बढ़कर 25 हो गई है, लेकिन भाजपा में विधान परिषद का टिकट पाने के लिए पार्टी के निष्ठावान नेताओं पर दलबदलू भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। भाजपा अभी तक दूसरे दलों से आने वाले एक दर्जन से अधिक नेताओं को विधान परिषद भेज चुकी है। विधान परिषद की छह सीटों पर हुए ताजा चुनाव में भाजपा ने पांच सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। भाजपा को चार सीटों पर सफलता मिली है। लेकिन चार में से दो सीटों पर ऐसे उम्मीदवार जीते हैं जो दूसरे दलों से भाजपा में आए हैं। विधान परिषद की मुंबई सीट पर निर्विरोध चुनाव जीतने वाले राजहंस सिंह साल 2017 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। सिंह के पार्टी बदलने के बाद भाजपा ने उन्हें चार साल के भीतर विधान परिषद में भेज दिया। जबकि भाजपा के कई निष्ठावान पुराने उत्तर भारतीय नेता भी उम्मीदवारी चाह रहे थे। वहीं विधान परिषद की धुलिया-नंदूरबार सीट से निर्विरोध चुनाव जीतने वाले अमरिश पटेल लगातार दूसरी बार भाजपा के टिकट पर उच्च सदन के सदस्य बने हैं। कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे पटेल साल 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। पटेल कांग्रेस के विधान परिषद सदस्य पद से इस्तीफा देकर भाजपा में आए थे। पटेल के इस्तीफे के चलते 1 दिसंबर 2020 को विधान परिषद की धुलिया-नंदूबार सीट पर उपचुनाव हुआ था। उस उपचुनाव में पटेल ने बड़े वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। अब इसी सीट पर हुए चुनाव में वह निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं।
विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण देरकर मनसे छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए थे। भाजपा ने दरेकर को मई 2016 में विधान परिषद में भेजा था। विधान परिषद में वर्तमान सदस्य प्रसाद लाड, रणजीत सिंह मोहित पाटील, निरंजन डावखरे, सुरेश धस, निलय नाईक, गोपीचंद पडलकर, रमेश दादा पाटील, आर एन सिंह जैसे नेता अलग-अलग दलों से भाजपा में आकर विधायक बने हैं। जबकि भाजपा ने अपने सहयोगी दल रयत क्रांति संगठन के सदाभाऊ खोत और शिव संग्राम के अध्यक्ष विनायक मेटे भी विधान परिषद में भेजा है। खोत और मेटे भाजपा के टिकट पर निर्वाचित हुए थे। हालांकि पार्टी के वरिष्ठ नेता इसे भाजपा की ताकत बढ़ाने के लिए जरुरी मानते हैं। भाजपा के एक नेता कहते हैं कि दूसरे दलों से आए नेताओं को पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने से पार्टी के मजबूत होने के साथ-साथ विपक्षी दल कमजोर भी होता है।
Created On :   14 Dec 2021 8:10 PM IST